Dharmendra Property: बॉलीवुड के ही-मैन के नाम से मशहूर धर्मेंद्र की हालत अभी फिलहाल स्थिर बताई जा रही है और वो घर पर ही रिकवर कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल से छुट्टी मिल गई है और उनका घर पर ही इलाज चल रहा है. इस बीच, धर्मेंद्र की संपत्ति को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि धर्मेंद्र ने दो शादियां की थीं. उनकी पहली शादी प्रकाश कौर से हुई थी. बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म अपनाकर हेमा मालिनी से शादी कर ली. तो इस हिसाब से हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार धर्मेंद्र और हेमा का विवाह वैध नहीं है, जिससे यह सवाल उठता है कि धर्मेंद्र की संपत्ति उनकी दो पत्नियों और छह बच्चों के बीच कैसे विभाजित होगी. आइए इसपर विस्तार से चर्चा करते हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
नरेवांसिद्दप्पा बनाम मल्लिकार्जुन (2023 INSC 783) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए वकील ने अभिनेता धर्मेंद्र की दूसरी शादी से पैदा हुए बच्चों के उत्तराधिकार के अधिकारों के बारे में बताया. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि 1 सितंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने रेवणासिद्दप्पा बनाम मल्लिकार्जुन मामले में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. इसने अमान्य या रद्द करने योग्य विवाह से पैदा हुए बच्चों के उत्तराधिकार के अधिकारों की कानूनी स्थिति को स्पष्ट किया. धर्मेंद्र की बेटियों ईशा देव और आहना देव का मामला भी कुछ ऐसा ही है. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने उस भ्रम को दूर कर दिया है जो पहले ऐसी संतानों को पैतृक संपत्ति में अधिकार पाने से रोकता था.
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क्या ईशा और आहना को संपत्ति मिलेगी?
अगर देखा जाए तो धर्मेंद्र की हेमा मालिनी से दूसरी शादी हिंदू विवाह अधिनियम (HMA) के तहत अमान्य है. दरअसल, धर्मेंद्र की पहली शादी प्रकाश कौर से हुई थी. हालांकि HMA की धारा 16(1) धर्मेंद्र की दूसरी शादी से हुई दोनों बेटियों को उनके माता-पिता के संबंध में वैध संतान का दर्जा देती है. इस कानून का उद्देश्य इन बच्चों पर से नाजायज होने का कलंक हटाना है.
संपत्ति पर सीमा (धारा 16(3)): सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि वैधता का यह दर्जा उन्हें हिंदू संयुक्त परिवार में स्वतः ही सह-उत्तराधिकारी नहीं बनाता. उनके अधिकार उनके माता-पिता (धर्मेंद्र और हेमा मालिनी) की संपत्ति तक ही सीमित हैं, न कि उनके माता-पिता के अलावा किसी और की संपत्ति तक.
एक केस के जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया क्लियर
एक केस की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से निर्णय दिया है कि अमान्य शादी से पैदा हुए बच्चों के अधिकार उनके माता-पिता की स्व-अर्जित संपत्ति तक सीमित नहीं हैं. वे अपने माता-पिता की पैतृक/सहदायिक संपत्ति में भी समान हिस्से के हकदार हैं, जिसकी गणना माता-पिता की मृत्यु से ठीक पहले किए गए काल्पनिक विभाजन के माध्यम से की जाती है.
इस न्यायिक व्याख्या ने एक लंबे समय से चले आ रहे विवाद का अंत कर दिया है. हालांकि ईशा देव और आहना देव को जन्म से सहदायिक अधिकार (कोपार्सनरी राइट्स) नहीं हैं, जैसे सनी और बॉबी एक वैध विवाह से पैदा हुए थे. फिर भी उन्हें अपने पिता के निश्चित हिस्से (स्व-अर्जित और पैतृक संपत्ति दोनों) में उत्तराधिकार का अधिकार है.
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