Bangladesh Trafficking Kidney In India: बांग्लादेश में इस समय वो हालात हैं कि हर तरफ भूख प्यास से लोग तड़प रहे हैं। वहीँ भारत आकर बांग्लादेश मौत और जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। दरअसल, बांग्लादेश के उत्तर-पश्चिमी जिले जॉयपुरहाट का एक छोटा सा गांव बैगुनी अब ‘वन किडनी विलेज’ के नाम से बदनाम हो चुका है। ऐसा इसलिए क्यूंकि यहां हर 35 में से एक व्यक्ति अपनी किडनी बेच चुका है। इतना ही नहीं बल्कि अब तो हालात यूँ हो गए हैं कि वहां के लोग अपने परिवार के पालन पोषण के लिए इतना बड़ा रिस्क ले रहे हैं। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक भारत और बांग्लादेश के बीच अवैध अंग तस्करी ने कई परिवारों की जिंदगी खा ली है।
बांग्लादेशी ने खुद बताया किस्सा
इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए 45 साल के सफीरुद्दीन अपनी आपबीती का पूरा जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 2024 की गर्मियों में वो भारत आए और 2.5 लाख रुपये में अपनी किडनी बेच दी। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्यूंकि उन्हें गरीबी से बाहर निकलकर अपने तीन बच्चों के लिए घर बनाना था, इतना सब करने के बाद उनका नुक्सान के सिवा कुछ नहीं हुआ, वहीँ अब उनका घर अधूरा है, शरीर में लगातार दर्द रहता है और काम करने की ताकत नहीं बची है।
नकली दस्तावेजों का किया इंतजाम
भारत में मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (THOA) 1994 के अनुसार किडनी दान केवल करीबी रिश्तेदारों के बीच या सरकारी मंजूरी के साथ ही किया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, दलाल नकली दस्तावेजों और संबंधों के मनगढ़ंत सबूतों का उपयोग करके इस नियम को दरकिनार कर देते हैं। अल जजीरा की रिपोर्ट में WHO के विशेषज्ञ मोनिर मनीरुज्जमां के हवाले से बताया गया है कि फर्जी पहचान पत्र, नोटरी सर्टिफिकेट और DNA रिपोर्ट तक बनवाई जाती हैं। अस्पतालों को अक्सर शक ही नहीं होता या वे जानबूझकर नजरअंदाज कर देते हैं।