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Kaal Bhairav Jayanti 2025: काल भैरव जयंती आज, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र और भोग

Kaal Bhairav Jayanti 2025: आज काल भैरव अष्टमी है, जिसे भैरव जयंती के नाम से भी जाना जाता है. आज के दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप भैरव बाबा की पूजा होती है. चलिए जानते हैं यहां आज के दिन काल भैरव की पूजा का शुभ मुहूर्त, सही पूजा विधी, मंत्र और भैरव बाबा के भोग के बारे में.

By: chhaya sharma | Last Updated: November 12, 2025 10:23:22 AM IST



Kaal Bhairav Jayanti 2025 Puja Vidhi: मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भैरव अष्टमी मनाई जाती है, जिसे भैरव जयंती, काल भैरव अष्टमी या काल भैरव जयंती के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन ही काल भैरव की उत्पत्ति उत्पत्ति भगवान शिव के प्रचंड क्रोध से हुई थी. इसलिए मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भैरव बाबा की पूजा की जाती है. कहा जाता हैं कि भैरव बाबा की पूजा से जीवन की नकारात्मकता दूर होती. साथ शत्रु और भय से मुक्ति मिल जाती है. चलिए जानते हैं यहां आज के दिन काल भैरव की पूजा का शुभ मुहूर्त, सही पूजा विधी, मंत्र और भैरव बाबा के भोग के बारे में.

काल भैरव की पूजा का शुभ मुहूर्त

भैरव बाबा की पूजा रात के समय, विशेषकर प्रदोष काल और मध्यरात्रि में करनी चाहिए. इसके अलावा आप प काल भैरव की पूजा आप दिन में भी कर सकते हैं. यहां दिए गए मुहूर्त में आप काल भैरव की पूजा कर सकते है

  • ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:56 बजे से सुबह 05:49 बजे तक
  • प्रातः सन्ध्या 05:22 बजे से सुबह 06:41 बजे तक
  • विजय मुहूर्त दोपहर 01:53 बजे से दोपहर 02:36 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त  शाम 05:29 बजे से शम 05:55 बजे तक
  • सायाह्न सन्ध्या 05:29 बजे से 06:48 बजे तक
  • अमृत काल 04:58 बजे से 06:35 बजे तक
  • निशिता मुहूर्त रात 11:39 बजे से देर रात 12:32 बजे तक, नवम्बर 13

काल भैरव की सही पूजा विधि

सबसे पहले ब्रह्म-मुहूर्त में स्नान करें, फिर पूजा स्थल को भी गंगा-जल से शुद्ध करें.मंदिर या घर के पूजा स्थल पर भगवान काल भैरव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. भगवान काल भैरव को फल-फूल, धूप-दीप, सुपारी-पान तथा मिष्ठान अर्पित करें.दीपक में सरसों का तेल डालकर प्रज्वलित करें. इसके बाद रात्रि के समय जागरण कर भैरव जी के मंत्रों का जप कर सकते हैं।

पूजा में पढ़े काल भैरव के ये मंत्र

  • ॐ कालभैरवाय नमः
  • ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं
  • ॐ कालकालाय विद्महे, कालातीतया धीमहि, तन्नो भैरवः प्रचोदयात्
  • ॐ भयहरणं च भैरव:
  • ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं काल भैरवाय नमः

पूजा में पढ़े काल भैरव की आरती

॥ ॐ भैरवाय नमः ॥

काल भैरव की आरती
॥ श्री काल भैरव आरती ॥
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।
जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक ।
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥

तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी ।
कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत ।
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥

काल भैरव को लगाएं उनकी पसंद का भोग

आज काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए आप विधि विधान से पूजा करने के बाद हलवा, जलेबी, इमरती, दही-बड़ा और मीठी रोटी का भोग उन्हें लगा सकते हैं. तंत्र-मंत्र की परंपरा के अनुसार काल भैरव को शराब (मदिरा) का भोग भी लगाया जाता है. इसके अलावा आप ग्रह दोष को खत्म करने के लिए आप काले तिल से बनी चीजों जैसे गजक और रेवड़ी, उड़द की दाल के पकौड़े और पान का भोग भी काल भैरव बाबा को अर्पित कर सकते हैं. 

Disclaimer:  इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. Inkhabar इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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