Silver Toe Ring Significance: बिछिया को विवाह की निशानी के रूप में देखा गया है. सोलाह श्रृंगार का खास हिस्सा माना जाता है. शादी के बाद दोनों पैरों की दो या तीन उंगलियों में बिछिया पहनी जाती है. इससे वैवाहिक संबंध अच्छे बने रहते हैं. इसके साथ ही बिछिया को ऐसा आभूषण माना जाता है जो माता लक्ष्मी को आकर्षित करता है. यही वजह है कि शादी के बाद बिछिया पहनने का रिवाज़ है.
बिछिया का महत्व
शादी के बाद बिछिया पहनने का महत्व रामायण काल से चला आ रहा है. ऐसा माना जाता है कि जब माता सीता का अपहरण करके रावण ले जा रहा था तब उन्होंने रास्ते में अपनी बिछिया निकालकर फेंक दी थी. जिससे श्री राम उन्हें आसानी से ढूंढ सकें. उसी समय से बिछिया एक शादीशुदा महिला के सोलह श्रृंगार का जरूरी हिस्सा बन गई. बिछिया वैसे तो पैर की मध्यम उंगली पर पहनी जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उंगली का सीधा संबंध आपके ह्रदय से होता है. जब आप पैरों में चांदी की बिछिया पहनती हैं तो इसे चंद्रमा का कारक माना जाता है. इसलिए हमेशा पैरों में चांदी की बिछिया पहनी जाती है. ये आपके पति-पत्नी के संबंध को मजबूत बनाने में मदद करता है.
सोने की बिछिया क्यों नहीं पहनी जाती है?
ज्योतिष की मानें तो पैर में कभी भी सोने की बिछिया या पायल नहीं पहननी चाहिए. धार्मिक मान्यता के अनुसार सोना धातु भगवान विष्णु से संबंधित है जिसकी पूजा की जाती है. इसलिए पैरों में इस धातु को पहनना भगवान विष्णु का अपमान करना माना जाता है.
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चांदी की ही बिछिया क्यों पहनी जाती है?
चांदी की बिछिया पहनने के कई फायदे हैं. चांदी की धातु हमारे शरीर के लिए शुभ मानी जाती है. चांदी में पृथ्वी की ध्रुवीय ऊर्जा को अवशोषित करने करने की क्षमता होती है और ये चंद्रमा की धातु मानी जाती है. ज्योतिष के अनुसार चांदी की बिछिया पहनने से आपके शरीर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और ये प्रेम का कारक भी मानी जाती है.