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काल भैरव के आठ रूप कौन-से होते हैं? जानें इनका महत्व और पूजा करने का लाभ क्या है?

Kaal Bhairav: काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप है. जब भगवान शिव प्रचंड क्रोध में थे तब इनकी उत्पत्ति हुई थी. कथा के अनुसार ब्रह्मा के क्रोध से जलते सिर को भैरव ने उनके धड़ से अलग कर दिया था. इस पर भगवान शिव ने भैरव से सभी तीर्थ स्थानों पर जाने को कहा ताकि उन्हें ब्रह्म हत्या के पाप से छुटकारा मिल सके.

By: Shivi Bajpai | Last Updated: November 11, 2025 11:07:38 AM IST



Kaal Bhairav: काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप है. जब भगवान शिव प्रचंड क्रोध में थे तब इनकी उत्पत्ति हुई थी. कथा के अनुसार ब्रह्मा के क्रोध से जलते सिर को भैरव ने उनके धड़ से अलग कर दिया था. इस पर भगवान शिव ने भैरव से सभी तीर्थ स्थानों पर जाने को कहा ताकि उन्हें ब्रह्म हत्या के पाप से छुटकारा मिल सके. 

परंतु उन्होंने देखा कि ब्रह्म हत्या का पाप हर जगह उनका पीछा कर रहा है. लेकिन जैसे ही भैरव काशी पहुंचे, वैसे ही उनका पाप मिट गया. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने अपने अवतार की रचना की और उसे ‘काल’ नाम देकर कहा कि ये काल यानि मृत्यु का राजा है. तो आइए जानते हैं कि काल भैरव के आठ रूप कौन-से हैं?

भगवान काल भैरव के आठ रूप कौन-से हैं?

कपाल भैरव 

यह भगवान कालभैरव का एक चमकीला स्वरूप है, जिसपर वे हाथी पर सवारी कर रहे है. उनके एक हाथ में त्रिशूल है और दूसरे हाथ में तलवार है, उनके तीसरे और चौथे हाथ में शस्त्र और पात्र हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कालभैरव के इस स्वरूप की पूजा करने से कानूनी मामलों में आपको सफलता प्राप्त हो सकती है.  

क्रोध भैरव 

कालभैरव का ये स्वरूप गहरे नीले रंग का है जिनकी तीन आंखें हैं और उनका वाहन गरुड़ हैं. काल भैरव के इस स्वरूप को दक्षिण-पश्चिम दिशा का देवता माना जाता है. इनकी पूजा करने से आपके सभी पापों का नाश हो जाता है. 

असितांग भैरव 

काल भैरव का ये स्वरूप सफेद कपालों की माला धारण किए हुए है और उनके हाथ में भी कपाल है. तीन आंखों वाले असितांग भैरव का वाहन हंस है.  इनकी पूजा करने से मनुष्य के अंदर क्रिएटिविटी जागती है. 

चंद्र भैरव 

चंद्र भैरव की उपासना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और प्रतिकूल स्थितियों से लड़ने की क्षमता मिलती है. इस रुप में भगवान की तीन आंखें हैं और उनकी सवारी मोर है. चंद्र भैरव के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में पात्र और तीसरे में तीर और चौथे हाथ में धनुष धारण किए हुए हैं. 

गुरु भैरव 

कालभैरव का एक स्वरूप गुरु भैरव भी है. इनके एक हाथ में कपाल और कुल्हाड़ी है, वहीं दूसरे हाथ में तलवार है. गुरु भैरव की सवारी बैल है और उनके शरीर में सर्प लिपटा हुआ है. विद्या, ज्ञान और धन प्राप्ति के लिए गुरू भैरव की आराधना की जाती है. 

संहार भैरव 

संहार भैरव भगवान के सिर पर कपाल स्थापित है और इनकी तीन आंखे हैं. इनका वाहन काला कुत्ता है. संहार भैरव की आठ भुजाएं हैं और इनकी देह पर सांप लिपटा हुआ है. इनकी पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं. 

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उन्मत भैरव 

उन्मत भैरव को शांति का प्रतीक माना जाता है. इस स्वरूप की पूजा करने से आपके भीतर सकारात्मकता बढ़ जाती है और बुराईया समाप्त होने लगती हैं. 

भीषण भैरव 

भीषण भैरव को नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से बचने के लिए उनकी पूजी की जाती है. इनकी पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है.

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