Shashi Tharoor: कांग्रेस नेता शशि थरूर इन दिनों ऐसे-ऐसे काम कर रहे हैं. जिससे सियासी गरियारों में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है. एक बार फिर उन्होंने कुछ ऐसा कदम उठाया है, जिससे उनकी कांग्रेस से नाराजगी फिर से जगजाहिर हो गई है. कांग्रेस नेता शशि थरूर एक बार फिर अपनी पार्टी से अलग राय रखने के कारण आलोचनाओं के घेरे में आ गए हैं. इस बार जब उन्होंने वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी को उनके 98वें जन्मदिन पर बधाई दी, तो उनकी विचारधारा पर सवाल उठाए गए. थरूर ने यह कहकर सफाई दी कि किसी नेता के लंबे कार्यकाल को सिर्फ एक घटना से नहीं आंका जाना चाहिए.
शशि थरूर ने नेहरू और इंदिरा की दिलाई याद
शशि थरूर ने आलोचकों का मुंह बंद करने के लिए प्रतिक्रिया दी. जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि नेहरू के पूरे करियर को चीन से मिली हार या इंदिरा गांधी के आपातकाल के कार्यकाल से नहीं आंका जा सकता; आडवाणी के साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए. वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने आडवाणी की रथ यात्रा का ज़िक्र करते हुए कहा था कि इसी के कारण बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ. थरूर ने जवाब दिया कि आडवाणी के लंबे कार्यकाल को सिर्फ़ एक घटना से आंकना सही नहीं है.
Wishing the venerable Shri L.K. Advani a very happy 98th birthday! His unwavering commitment to public service, his modesty & decency, and his role in shaping the trajectory of modern India are indelible. A true statesman whose life of service has been exemplary. 🙏 pic.twitter.com/5EJh4zvmVC
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) November 8, 2025
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संजय हेगड़े ने दिया थरूर को जवाब
हेगड़े ने थरूर की बधाई का जवाब देते हुए कहा कि देश में नफरत के बीज बोना जनसेवा नहीं है, यह बात खुशवंत सिंह ने भी अपनी किताब “द एंड ऑफ़ इंडिया” में कही थी और एक जनसभा में आडवाणी से कहा था कि श्रीमान आडवाणी आपने इस देश में नफरत के बीज बोए हैं.
थरूर ने क्या कहा?
लाल कृष्ण आडवाणी के जन्मदिन के अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने एक पोस्ट लिखा. इस पोस्ट में उन्होंने आडवाणी के साथ वाली एक पुरानी तस्वीर साझा की और जनसेवा के प्रति उनके अटूट समर्पण, उनकी विनम्रता और शालीनता और आधुनिक भारत की दिशा तय करने में उनकी भूमिका के लिए उनकी प्रशंसा की. उन्होंने आडवाणी को “एक सच्चा राजनेता” कहा और कहा कि उनका सेवामय जीवन अनुकरणीय रहा है.
यह पहली बार नहीं है जब थरूर ने अपनी पार्टी कांग्रेस से अलग राय रखी है. हाल ही में उन्होंने एक लेख लिखा था जिसमें उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार को वंशवादी राजनीति का उदाहरण बताते हुए कहा था कि यह योग्यतावाद के लिए हानिकारक है. उन्होंने इस लेख में भाजपा नेताओं के परिवारों का कोई उदाहरण नहीं दिया, जिसके लिए उन्हें भाजपा की ओर से प्रशंसा मिली.
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