MP Ziaur Rahman Barq : उत्तर प्रदेश के संभल जिले से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने एक बार फिर वंदे मातरम् को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि वह वंदे मातरम् नहीं गाते, क्योंकि इसके कुछ शब्द उनके मजहब की शिक्षाओं के खिलाफ हैं. बर्क ने स्पष्ट कहा कि उनका धर्म केवल एक अल्लाह की इबादत की इजाजत देता है, इसलिए वह किसी अन्य स्थान या वस्तु को सजदा नहीं कर सकते.
‘गाने के लिए बाध्य नहीं कर सकते’
सांसद ने अपने आवास पर मीडिया से कहा कि ‘जन-गण-मन’ देश का राष्ट्रगान है, जिसका वह पूरा सम्मान करते हैं और उसे गाते भी हैं, क्योंकि उसमें ऐसा कोई शब्द नहीं है जो उनकी धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाए. उन्होंने दोहराया कि वंदे मातरम् राष्ट्रगीत है और किसी को भी इसे गाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
‘मुल्क की इबादत नहीं कर सकता’
बर्क ने कहा, “मैं इस मुल्क की मिट्टी से मोहब्बत करता हूं, इसके प्रति वफादार हूं, लेकिन इसकी इबादत नहीं कर सकता. यह मेरा मजहबी और संवैधानिक अधिकार है.” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह केवल उनका व्यक्तिगत मत नहीं है, बल्कि संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले भी इस विचार को समर्थन देते हैं.
उन्होंने 1986 के केरल केस का हवाला देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने तब स्पष्ट किया था कि किसी व्यक्ति को राष्ट्रगीत या राष्ट्रगान गाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, और देशभक्ति का मापदंड किसी गीत को गाना या न गाना नहीं हो सकता.
शफीकुर्रहमान बर्क का दिया उदाहरण
सांसद ने अपने दादा, पूर्व सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने भी वंदे मातरम् के गायन का विरोध किया था. बसपा सरकार के समय संसद में इस गीत के दौरान उन्होंने वॉकआउट किया था, जिससे उस समय राजनीतिक हलकों में भारी विवाद खड़ा हो गया था.
इसी मुद्दे पर हाल ही में पूर्व सांसद डॉ. एस.टी. हसन ने भी कहा था कि मुसलमान अल्लाह के सिवा किसी और की इबादत नहीं कर सकता, इसलिए वंदे मातरम् गाना उनके मजहब के विरुद्ध है. इस तरह, पुराने विवाद ने एक बार फिर यूपी की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है.
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