Bihar Election 2025: बिहार चुनाव में 5 दिनों से भी कम समय बचा है. इससे पहले चुनावी राज्य में हड़कंप तब मच गया जब बिहार के पूर्व विधायक और मोकामा विधानसभा सीट से जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के उम्मीदवार अनंत सिंह को जन सुराज समर्थक दुलार चंद यादव की हत्या के सिलसिले में शनिवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया.
जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं अनंत सिंह
बता दें कि अनंत सिंह जेडीयू के टिकट पर मोकामा सीट से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं. सिंह को राजधानी पटना से लगभग 200 किलोमीटर दूर बाढ़ स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने उन पर भारतीय दंड संहिता (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 103(1), 3(5) और आर्म्स एक्ट के तहत आरोप लगाए हैं. अब सवाल ये है कि इन धाराओं के तहत उनको कितनी सजा हो सकती है.
आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड तक की सजा
मामले में अनंत सिंह पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 103 (1), 3(5) और आर्म्स एक्ट के तहत आरोप लगाए गए हैं. ये धाराएं मिलकर हत्या, साझा इरादे और अवैध हथियार रखने से संबंधित हैं. इनमें आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान है.
बीएनएस धारा 103 (1) – हत्या के लिए दंड
आईपीसी की धारा 103 (1) के अनुसार, “जो कोई भी हत्या करता है उसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास और जुर्माने से दंडित किया जाएगा.” यह धारा पुरानी आईपीसी की धारा 302 के समान है. हत्या जैसे जघन्य अपराधों में, अदालत परिस्थितियों के आधार पर मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दे सकती है.
BNS की धारा 3(5)- समान अभिप्राय
इस धारा में कहा गया है कि यदि कई व्यक्ति समान आशय से कोई अपराध करते हैं, तो प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से दोषी माना जाएगा, मानो उन्होंने अकेले ही अपराध किया हो. इसका अर्थ है कि यदि हत्या की साजिश या योजना में कई लोग शामिल हैं, तो सभी अपराध के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं. इस धारा ने भारतीय दंड संहिता की धारा 34 का स्थान ले लिया है. इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर सभी को समान सजा मिलेगी.
शस्त्र अधिनियम (Arms Act)
अनंत सिंह पर शस्त्र अधिनियम, 1959 की धाराओं के तहत भी आरोप लगाए गए हैं. इस अधिनियम के तहत, बिना लाइसेंस वाला हथियार रखने पर 3 से 7 साल की सज़ा और हत्या में अवैध हथियारों के इस्तेमाल पर आजीवन कारावास या यहाँ तक कि मृत्युदंड भी हो सकता है. शस्त्र (संशोधन) अधिनियम, 2019 ने नियमों को और कड़ा कर दिया है.
कानूनी विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, इन धाराओं का संयुक्त प्रभाव बहुत गंभीर है. अगर अदालत में हत्या और समान इरादे दोनों साबित हो जाते हैं, तो अभियुक्त के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास से बचना मुश्किल हो सकता है. अदालत मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सज़ा दे सकती है.