Home > विदेश > Nimisha Priya के लिए फरिश्ता बनकर आये मुस्लिम गुरु, टलवा दी यमन में फांसी, आखिर कौन हैं ‘भारत के ग्रैंड मुफ़्ती’?

Nimisha Priya के लिए फरिश्ता बनकर आये मुस्लिम गुरु, टलवा दी यमन में फांसी, आखिर कौन हैं ‘भारत के ग्रैंड मुफ़्ती’?

Nimisha Priya Execution: केरल की नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को यमन में फाँसी दी जानी थी लेकिन अब फाँसी से बच गई हैं। यह भारत के एक 94 वर्षीय धार्मिक नेता, जिन्हें दुनिया 'भारत के ग्रैंड मुफ़्ती' के नाम से जानती है, की पहल के कारण संभव हुआ है।

By: Deepak Vikal | Published: July 15, 2025 6:44:28 PM IST



Nimisha Priya Execution: केरल की नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को यमन में फाँसी दी जानी थी लेकिन अब फाँसी से बच गई हैं। यह भारत के एक 94 वर्षीय धार्मिक नेता, जिन्हें दुनिया ‘भारत के ग्रैंड मुफ़्ती’ के नाम से जानती है, की पहल के कारण संभव हुआ है। इस बड़ी राहत का श्रेय भारत के एक प्रमुख सुन्नी मुस्लिम नेता, कंठपुरम एपी अबूबकर मुसलियार को जाता है। उन्होंने यमन के प्रमुख सूफी धार्मिक नेता शेख हबीब उमर बिन हाफ़िज़ के माध्यम से मृतक तलाल अब्दो महदी के परिवार के साथ बातचीत का रास्ता खोला।

‘धार्मिक संवाद’ के माध्यम से बातचीत हुई

कंठपुरम मुसलियार ने धार्मिक आधार पर बातचीत शुरू की और यमनी परंपरा के अनुसार रक्तदान के माध्यम से क्षमादान का रास्ता सुझाया। निमिषा प्रिया के परिवार ने उन्हें क्षमादान दिलाने के लिए 8.6 करोड़ रुपये की पेशकश की।

यमन के धमार शहर में हुई बातचीत 

यह महत्वपूर्ण बैठक यमन के धमार शहर में हुई, जहाँ मृतक के परिवार ने फांसी पर पुनर्विचार के संकेत दिए। इसके बाद, यमन की न्यायिक व्यवस्था ने 16 जुलाई को फांसी न देने का फैसला किया। तलाल अब्दो महदी का परिवार भी हबीब उमर के सूफी संप्रदाय से जुड़ा है। इस वजह से कंथापुरम मुसलियार के बयान को धार्मिक सम्मान मिला, जिसने पूरी बातचीत को एक सकारात्मक दिशा दी।

निमिषा पर क्या आरोप हैं?

केरल के पलक्कड़ जिले की नर्स निमिषा प्रिया को अपने यमनी व्यापारिक साथी महदी की हत्या के जुर्म में 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी। उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी और उनकी आखिरी अपील 2023 में खारिज कर दी गई थी। वह फिलहाल यमन की राजधानी सना की एक जेल में बंद हैं।

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केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि भारत सरकार पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन यमन के हालात को देखते हुए ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया कि सरकार अपने नागरिकों को बचाना चाहती है और इस मामले में हर संभव प्रयास कर रही है। वेंकटरमणी ने कहा, “भारत सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है और उसने कुछ शेखों से भी संपर्क किया है, जो वहां काफी प्रभावशाली लोग हैं।”

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