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अंतरिम PM बनने के बावजूद ये काम नहीं कर पाएंगी Sushila Karki, जानें कौन-कौन सी नहीं होगी Power

Sushila Karki: नेपाल ने अपना अंतरिम प्रधानमंत्री चुन लिया है। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की देश की पहली महिला अंतरिम पीएम होंगी। लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं जो सत्ता में रह कर भी वह नहीं कर पाएंगी। तो चलिए जानते हैं अंतरिम पीएम के पास कितनी पावर होती है?

By: Divyanshi Singh | Published: September 12, 2025 1:43:47 PM IST



Nepal Protest: नेपाल पिछले कई दिनों से युआवो के आक्रोश को देख रहा है। Gen-Z के हिंसक आंदोलन ने नेपाल के सत्ता को पूरी तरह से हिला दिया। जिसके वजह से नेपाल के अपदस्थ प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ( KP Sharma Oli) को इस्तीफा देना पड़ा। वहीं कई दिन तक चले बवाल के बाद से अपना अंतरिम प्रधानमंत्री चुन लिया है। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की (Sushila Karki) देश की पहली महिला अंतरिम पीएम होंगी। हालांकि पीएम रे रेस में काठमांडू के मेयर बालेन शाह और बिजली बोर्ड के प्रमुख रहे कुलमान घीसिंग का नाम भी था। लेकिन अंत में सहमति कार्की के नाम पर बनी। जब तक अगला चुनाव नहीं हो जाता कार्की नेपाल की अंतरिम पीएम बनी रहेंगी। अब सवाल ये है कि अंतरिम पीएम कार्की को कितनी पावरफुल होंगी ? क्या उनको एक पीएम जितना ही शक्तियां मिलेंगी ? जानिए नेपाल का संविधान इसको लेकर क्या कहता है।

नेपाल का संविधान क्या कहता है?

नेपाल का वर्तमान संविधान 2015 (संविधान सभा द्वारा अपनाया गया “नेपाल का संविधान-2072”) है। इसमें धारा 76 में प्रधानमंत्री की नियुक्ति, बहुमत और पद छूटने की स्थिति का विशेष रूप से प्रावधान है। धारा 76 (7) के अनुसार, यदि प्रधानमंत्री के त्यागपत्र देने या पद छोड़ने के बाद नया प्रधानमंत्री नहीं चुना जाता है, तो राष्ट्रपति पूर्व प्रधानमंत्री को नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति होने तक कार्यपालिका के रूप में पद पर बने रहने की अनुमति देता है। संविधान अंतरिम प्रधानमंत्री को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नहीं कहता, लेकिन व्यवहार में यही स्थिति उत्पन्न होती है।

नेपाल के संविधान के अनुसार, निर्वाचित प्रधानमंत्री को 30 दिनों के भीतर बहुमत साबित करना होगा। यही कारण है कि सुशीला कार्की फिलहाल अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करेंगी। आगे चुनाव होंगे, यदि किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलता है, तो राष्ट्रपति सबसे बड़े दल के नेता को प्रधानमंत्री चुन सकते हैं। बहुदलीय व्यवस्था में भी राष्ट्रपति प्रधानमंत्री चुनने का निर्णय ले सकते हैं। हालाँकि, प्रधानमंत्री को 30 दिनों के भीतर बहुमत साबित करना होगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो राष्ट्रपति प्रतिनिधि सभा के किसी सदस्य को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकता है। बहुमत न होने की स्थिति में संसद को भंग किया जा सकता है।

अंतरिम प्रधानमंत्री की शक्तियां क्या हैं?

अंतरिम प्रधानमंत्री की भूमिका पूर्णतः सीमित कार्यकारी होती है। इसका उद्देश्य केवल नियमित प्रशासन चलाना और चुनाव या सत्ता हस्तांतरण तक देश को स्थिर रखना होता है। अंतरिम प्रधानमंत्री निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:

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  • दैनिक सरकारी कार्य और प्रशासनिक निर्णय लेना।
  • सार्वजनिक सेवाओं और विभागों को दिन-प्रतिदिन के दिशा-निर्देश देना।
  • बजट प्रावधानों और पूर्व स्वीकृत योजनाओं को आगे बढ़ाना।
  • आवश्यक नियुक्तियां करना, जो केवल अत्यावश्यक और तात्कालिक प्रकृति की हों।
  • चुनाव प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा करने में सहायता करना।

अंतरिम प्रधानमंत्री क्या नहीं कर सकते?

  • कोई भी बड़ा नीतिगत परिवर्तन करना, जैसे नई विदेश नीति, अंतर्राष्ट्रीय समझौते, राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति आदि।
  • दीर्घकालिक वित्तीय योजनाएँ और बड़ी निवेश परियोजनाएँ शुरू करना।
  • संवैधानिक पदों पर बड़े पैमाने पर नियुक्तियाँ करना।
  • संसद भंग होने के बाद नए विधेयक बनाना और उन्हें लागू करना।
  • कोई भी ऐसा निर्णय लेना जो भावी सरकार को बाध्य करे।

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