SCO Summit 2025: प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए वर्तमान में चीन के कज़ान में हैं, जहाँ उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक माहौल का स्वागत किया और स्पष्ट किया कि भारत और चीन विकास साझेदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं।
इसके अलावा, पीएम मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को आवश्यक बताया है। भारत और चीन दोनों ने पिछले वर्ष हुए डिसइंगेजमेंट पर संतोष व्यक्त किया और सीमा विवाद का न्यायसंगत और स्वीकार्य समाधान खोजने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
दोनों देशों के बीच इन चीजों पर बनी बात
इस मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली के अलावा वीजा सुविधा और सीधी उड़ानों को लेकर बात बनी है। इसके अलावा व्यापार घाटा कम करने और निवेश बढ़ाने पर भी सहमति बनी।
आतंकवाद के मुद्दे पर बढ़ाएंगे सहयोग
खास बात ये है कि दोनों देशों के बीच आतंकवाद और निष्पक्ष व्यापार जैसे वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। आतंक का मुद्दा इसलिए अहम है क्योंकि चीन पीछे के दरवाजें से पाक को सपोर्ट करता रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी ये देखने को मिला, जहां पाक सेना ने चीनी मिसाइल और ड्रोन का इस्तेमाल किया था, लेकिन भारतीय सेना ने सभी को मार गिराया था।
राष्ट्रपति शी को भारत आने का न्यौता
इन सबके बीच, प्रधानमंत्री मोदी ने चीन की एससीओ अध्यक्षता का समर्थन किया और राष्ट्रपति शी जिनपिंग को 2026 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने का निमंत्रण भी दिया। शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री मोदी के इस निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है और भारत की अध्यक्षता का समर्थन करने का आश्वासन दिया है।
जिनपिंग के अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के सदस्य काई ची से भी मुलाकात की। काई ने कहा कि चीन भारत के साथ अपने संबंधों को और भी ज्यादा मजबूत करने को इच्छुक है।
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