Trump Tariffs: अमेरिका ने हाल ही में भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाकर कुल टैरिफ को 50 प्रतिशत कर दिया है, जो भारत से होने वाले आयात पर भारी प्रभाव डाल सकता है। इस कदम से भारतीय उत्पादों की अमेरिका में बिक्री प्रभावित होने के साथ-साथ उन देशों के उत्पादों को अमेरिकी बाजार में अधिक अवसर मिलने की संभावना है जिन पर कम टैरिफ लागू है। इस वृद्धि के पीछे मुख्य रूप से भारत का रूस से तेल आयात जारी रखना बताया जा रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत का तेल आयात
पिछले तीन सालों से रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका लगातार रूस को युद्ध रोकने के लिए दबाव डाल रहा है, लेकिन भारत ने अपनी रणनीतिक दोस्ती और देशहित को ध्यान में रखते हुए रूस से तेल आयात जारी रखा है। यही कारण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ टैरिफ बढ़ाने का निर्णय लिया है। ट्रंप का यह आरोप है कि भारत सस्ते दामों पर रूस से तेल खरीद रहा है और कुछ हद तक इसे अन्य देशों को महंगे दामों पर बेचकर मुनाफा भी कमा रहा है।
ट्रंप और भारत के बीच तनाव के अन्य कारण
सिर्फ तेल आयात ही ट्रंप के भारत के प्रति नाराजगी का कारण नहीं है। मई 2023 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष और उसके बाद हुए सीजफायर पर ट्रंप ने खुद को शांति कराने वाला बताया, जबकि भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि यह समझौता द्विपक्षीय था और इसमें किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं थी। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने ट्रंप को इस सीजफायर का श्रेय दिया। इस मामले में ट्रंप की नाराजगी को एक और कारण माना जा रहा है कि भारत ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दिलाने की मांग नहीं की, जबकि अन्य कई देशों ने ट्रंप के पक्ष में आवाज उठाई थी। भारत ने साफ कहा कि ऐसी बातों के लिए वाइट हाउस से ही संपर्क किया जाना चाहिए।
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कृषि और डेयरी क्षेत्र पर अमेरिकी दबाव
भारत का कृषि और डेयरी सेक्टर दुनिया में बड़ा है, और अमेरिका इसमें अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता है। अमेरिका भारत से मक्का, सेब, सोयाबीन जैसे उत्पादों पर टैरिफ कम करने की मांग कर रहा है, साथ ही अपने डेयरी उत्पादों को भी भारतीय बाजार में बेहतर पहुंच दिलाना चाहता है। लेकिन भारत सरकार किसानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और ऐसे किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार करने को तैयार नहीं है, जिससे अमेरिका के साथ ट्रेड डील लंबित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट कर दिया है कि भारत किसानों और पशुपालकों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा।
भारत की रणनीति और अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव
अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने के फैसले का मकसद भारत को रूस से तेल खरीदना बंद करवाना है, लेकिन भारत ने देशहित में ऐसा कदम उठाने से साफ इनकार किया है। भारत ने भी स्पष्ट कर दिया है कि जो भी कदम राष्ट्रीय हित में होगा, वह उसे उठाएगा। इस वजह से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ा है और भविष्य में दोनों देशों के बीच व्यापार डील पर असर पड़ सकता है।
अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ का कारण सिर्फ रूस से तेल आयात ही नहीं, बल्कि कई राजनीतिक और आर्थिक पहलू हैं। ट्रंप की भारत के प्रति नाराजगी के पीछे सीजफायर का क्रेडिट न मिलना, नोबेल शांति पुरस्कार की मांग न करना और अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए भारत का सख्त रुख भी शामिल हैं। भारत की प्राथमिकता अपने किसानों और देशहित की रक्षा करना है, और यही वजह है कि वह अमेरिका के दबाव के बावजूद रूस से तेल खरीदना जारी रख रहा है। आने वाले समय में यह देखा जाना बाकी है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव कैसे सुलझते हैं और वैश्विक राजनीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

