Ramayana in Pakistan: पाकिस्तान के कराची में मंच पर हिंदू धर्म की सबसे पवित्र और प्रसिद्ध कथा ‘रामायण’ को मंच पर दिखाया गया, जिसे देखकर पूरा थियेटर तालियों की गरगराहट से गूंज गया। पाकिस्तान के कराची शहर के एक थिएटर ग्रुप ने यह बड़ा और दिल को छू लेने वाला कदम उठाया। इस ग्रुप का नाम ‘मौज’ है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, योगेश्वर करेरा ने इस नाटक का निर्देशन किया है। इस पर अपनी रखते हुए करेरा ने कहा कि उन्हें कभी इस बात का डर नहीं था कि इस कहानी को मंच पर लाने से कोई नाराज हो जाएगा। उन्होंने कहा, “रामायण ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है। यह सिर्फ एक धर्म की कहानी नहीं है, बल्कि अच्छाई की जीत और प्रेम की शक्ति की कहानी है।”
AI का इस्तेमाल बनाया गया अद्भुत माहौल
इस नाटक का पहला मंचन पिछले साल नवंबर में कराची के द सेकंड फ्लोर (T2F) में हुआ था, और अब जुलाई में इसे ‘आर्ट काउंसिल ऑफ़ पाकिस्तान’ में और भी बड़े पैमाने पर फिर से मंचित किया गया। नाटक में कुछ भी ज़्यादा भारी नहीं था, फिर भी हर दृश्य में एक दिल को छू लेने वाली गहराई थी। इसकी खूबसूरती इसकी सादगी में थी। मंच की लाइटिंग, लाइव संगीत, रंग-बिरंगे कपड़े और यहाँ तक कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करके ऐसा माहौल बनाया गया मानो दर्शक रामायण के युग में पहुँच गए हों।
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किसने निभाया किसका किरदार?
इस नाटक के सभी किरदारों का चुनाव बहुत सोच-समझकर किया गया था। राना काज़मी ने ‘सीता’ का किरदार निभाया और वह इतनी शांत, दृढ़ और भावुक दिखीं कि हर कोई उन्हें देखता ही रह गया। राम का किरदार अश्मल लालवानी ने निभाया, जिनकी शांति और गंभीरता ने किरदार में जान डाल दी। वहीं, सम्हान गाज़ी ने रावण का किरदार निभाया, जिसका गुस्सा, आवाज़ और अंदाज़ बिल्कुल वैसा ही था जैसा रावण से उम्मीद की जाती है। अन्य कलाकारों में आमिर अली (राजा दशरथ), वकास अख्तर (लक्ष्मण), जिबरान खान (हनुमान) और सना तोहा (रानी कैकेयी) जैसे नाम शामिल हैं।
AI ने बदल दी रामायण की दुनिया
आजकल तकनीक हर जगह है, लेकिन इस नाटक में AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का इस्तेमाल शायद पहली बार पाकिस्तान में देखा गया। जब पेड़ों के पत्ते हवा में हिलने लगे, राजा का महल बिल्कुल असली सा लगने लगा, और दृश्य के साथ-साथ सेट भी बदलने लगे, तो पूरा माहौल जादुई हो गया। ये सब AI द्वारा रचा गया था – न तो असली पेड़ थे, न ही महल। फिर भी वे बिल्कुल असली लग रहे थे। राणा काज़मी ने कहा, “जब तकनीक है, तो उसका सही इस्तेमाल क्यों न किया जाए? हम चाहते थे कि हर दृश्य जीवंत लगे, और AI ने इसमें हमारी मदद की।”
नाटक समाप्त होते ही पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। कुछ लोगों की आंखों में आंसू भी आ गए। किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि उन्होंने पाकिस्तान में इतने प्यार से रामायण को मंच पर देखा। यह पल साबित करता है कि कला कभी धर्म नहीं देखती, न ही इंसानियत।