Pakistan Army Rocket Force: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के सामने बेबस नजर आ रहे पाकिस्तान की हेकड़ी कम होने का नाम नहीं ले रही है। अमेरिका के दौरे से लौटे पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर ने एक बार फिर गीदड़भपकी सामने आ रही है। दरअसल, आपको जानकारी के लिए बता दें कि, आज पाकिस्तान में स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस मौके पर असीम मुनीर ने बड़ा ऐलान किया है। बताया जा रहा है कि, पाकिस्तान अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने में लगा हुआ है। इसी कड़ी में उसने चीन की नकल करते हुए एक रॉकेट फोर्स बनाने का फैसला किया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने आर्मी रॉकेट फोर्स कमांड के गठन की घोषणा की है। शरीफ ने कहा कि इससे उनके देश की सेना की युद्धक क्षमताएँ बढ़ेंगी।
शहबाज शरीफ ने क्या कहा?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि, रॉकेट फोर्स आधुनिक तकनीक से लैस है और हर दिशा से दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है। शहबाज ने इस दौरान भारत का नाम भी लिया। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान का इस नई फोर्स को बनाने का मकसद भारत के लिए एक नई चुनौती पेश करना है। पाकिस्तानी सेना ने साल 2021 में 140 किलोमीटर की रेंज वाली सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल (SSM) फतह-1 को सेना में शामिल किया।
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पाकिस्तान ने रॉकेट शक्ति बढ़ाने की दिशा में उठाया कदम
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, फतह-1 से पहले, पाक सेना के पास गाइडेड रॉकेट A-100 था। यह चीन में बना 100 किलोमीटर की रेंज वाला एक मल्टीपल-लॉन्च रॉकेट सिस्टम (MLRS) है। वर्ष 2024 में, पाकिस्तान ने 400 किलोमीटर की मारक क्षमता वाले SSM फ़तह-2 को अपने बेड़े में शामिल किया। इसके बाद, 450 किलोमीटर और 700 किलोमीटर की मारक क्षमता वाले फतह-3 और फतह-4 तैयार किए गए। इसके बाद, पाकिस्तान ने रॉकेट शक्ति बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
यूक्रेन से लिया सबक
यूक्रेन में हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) के प्रभावी उपयोग ने दुनिया भर में इसके प्रति रुचि पैदा की है। ऐसा लगता है कि HIMARS का अध्ययन करने के बाद, पाकिस्तान ने भी जमीनी मारक क्षमता में, विशेष रूप से गोला-बारूद दागने में सक्षम ‘शूट-एंड-स्कूट’ प्रणाली के माध्यम से, इसके लाभ को देखा होगा। पाकिस्तानी सेना अपनी रॉकेट क्षमता में जमीनी सटीक हमला करने की क्षमता विकसित करने पर काम कर रही है। यह दृष्टिकोण HIMARS से काफी हद तक अलग है। इसके पीछे का उद्देश्य एक तेजी से तैनात होने वाली प्रणाली का लाभ उठाना है, जो अपने गोला-बारूद को तेजी से दाग सकती है। साथ ही, नई मिसाइलों को पहले से लोड किए गए कंटेनरों से पुनः लोड किया जा सकता है।
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क्या है इस प्रणाली की खासियत?
इसकी मुख्य विशेषता यह है कि यह विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद, 122 मिमी से 610 मिमी तक के रॉकेट और विशिष्ट गोला-बारूद के साथ संगत है। इसमें लंबी दूरी तक हमला करने की क्षमता है। जब HIMARS का गोला-बारूद भंडार समाप्त हो जाता है, तो यह कनस्तर निकालकर दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित होकर फिर से गोलीबारी शुरू कर सकता है। इस पूरी प्रणाली में रॉकेट मुख्य उपकरण हैं। यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान रॉकेट को एक हथियार के रूप में विकसित कर रहा है, ताकि वह भारत के खिलाफ किसी भी संभावित संघर्ष में इसका इस्तेमाल कर सके।

