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Bangladesh News: ‘बांग्लादेश में शोक मनाया, तो होगी जेल…,’ यूनुस सरकार ने पार की दरिंदगी की हद, शेख हसीना के बेटे ने बताई खौफनाक सच्चाई

Bangladesh News: पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर देश में हिंसा फैलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने "शोक मनाने को अपराध बना दिया है।"

By: Deepak Vikal | Published: August 18, 2025 3:45:43 PM IST



Mourning declared a crime in Bangladesh: बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता जाने के बाद से हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। पहले अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की खबरों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था। भारत ने इस मामले में खुलकर विरोध जताया था। अब पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर देश में हिंसा फैलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने “शोक मनाने को अपराध बना दिया है।” सजीब वाजेद ने आरोप लगाया कि 1971 के मुक्ति संग्राम के बलिदानों को दर्शाने वाली दीवारें (भित्तिचित्र) तोड़ दी गईं, लोगों को नमाज़ पढ़ने से रोका गया और 15 अगस्त को बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की पुण्यतिथि पर शोक मनाने के लिए कई बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया गया।

बांग्लादेश में राष्ट्रीय शोक पर रोक

बांग्लादेश में ‘राष्ट्रपिता’ माने जाने वाले शेख मुजीबुर रहमान की 15 अगस्त 1975 को उनके परिवार के कई सदस्यों के साथ बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। यूनुस सरकार ने इसी 15 अगस्त को ‘राष्ट्रीय शोक दिवस’ मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया । बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के पूर्व आईसीटी सलाहकार, वाजेद ने कहा कि 15 अगस्त से एक दिन पहले, यूनुस के प्रेस सचिव ने शोक कार्यक्रम आयोजित करने पर नागरिकों को खुलेआम धमकी दी थी।

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पहले धमकी, फिर जेल

लेकिन लोगों ने चेतावनी को नज़रअंदाज़ कर दिया। वहीं वाजेद का आरोप है कि यूनुस के समर्थकों ने गुस्से में हमला किया। उन्होंने कहा कि उसी रात कई शिक्षकों, इमामों, पेशेवरों और सामुदायिक नेताओं को जेल में डाल दिया गया। वाजेद ने कहा कि ये लोग निर्दोष थे और उनका एकमात्र “अपराध” यह था कि वे स्मृतियों और सत्य के प्रति वफ़ादार थे।

वाजेद ने कहा कि यूनुस के “कड़े नियंत्रण” के कारण, शिक्षक, छात्र, धार्मिक नेता, महिलाएँ और यहाँ तक कि रिक्शा चालक भी, उनकी प्रतिशोधात्मक कार्रवाई के दबाव में असहाय शिकार बन गए हैं। उन्होंने कहा कि जो दिन कभी एकता और शोक का प्रतीक था, वह अब भय और हिंसा के माहौल में बदल गया है।

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