India and Russia Summit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 और 5 दिसंबर को भारत के राजकीय दौरे पर आ रहे हैं, जो साल 2021 के बाद 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए यह उनकी पहली यात्रा होगी. यह यात्रा ऐसे महत्वपूर्ण समय में हो रही है जब यूक्रेन युद्ध की वजह से पश्चिमी देश रूस को अलग करने की कोशिश में लगातार जुटे हुए हैं और भारत की मेजबानी उसकी रणनीतिक साझेदारी को पहले से और भी ज्यादा मजबूत करने वाली है.
प्रमुख एजेंडा और क्या हैं परिणाम?
राष्ट्रपति पुतिन की इस भव्य यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा और कई महत्वपूर्ण समझौतों पर बातचीत की होने की पहले से ही आशंका जताई जा रही है.
1. रक्षा समझौते (Defense Agreements)
रक्षा समझौते की बात करें, तो भारत और रूस अतिरिक्त एस-400 सिस्टम और सुखोई-57 (Su-57) लड़ाकू विमानों को लेकर रक्षा समझौते पर एक बेहद ही महत्वपूर्ण चर्चा कर सकते हैं. तो वहीं, दूसरी तरफ भारत में हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में एस-400 की अहम भूमिका का ज़िक्र भी पूरी दुनिया भर किया गया .
2. ऊर्जा सहयोग (Energy Cooperation)
रूस के कच्चे तेल पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने पर भी बातचीत होने की अहम चर्चा हो सकती है. यूक्रेन युद्ध के बाद से ही भारत रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदारों में से एक के रूप में पूरी दुनिया भर में माना जाता है. तो अब बात करते हैं द्विपक्षीय समीझा के बारे में.
3. द्विपक्षीय समीक्षा (Bilateral Review)
दोनों देश परमाणु ऊर्जा, तकनीक और कारोबार के क्षेत्रों में अपनी रणनीतिक साझेदारी की तेज़ी से प्रगति की समीक्षा कर सकते हैं.
4. वैश्विक संदर्भ और सामरिक महत्व (Global context and strategic importance)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का ऐसे समय पर दौरा हो रहा जब भारत के अमेरिका के साथ संबंध तनावपूर्ण मोड़ पर हैं. भारत लगातार पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भी रूस के साथ अपने ऐतिहासिक और मजबूत संबंधों को प्राथमिकता देने की लगातार कोशिश कर रहा है.
भारत और अमेरिका के बीच के संबंध
बात करें और भारत और अमेरिका के बीच के संबंध के बारे में तो, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ के बाद दोनों देशों के बीच का संबंध फिलहाल, पूरी तरह से तनावपूर्ण हैं. तो वहीं, दूसरी तरफ विश्लेषकों का मानना है कि, ट्रंप की नाराज़गी की एक वजह यह भी हो सकती है कि मई में पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष को समाप्त करने का फैसला प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप को आखिरी में नहीं दिया था. जिससे अमेरिका, चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत को एक महत्वपूर्ण सहयोगी भी मानता है, लेकिन यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस के प्रति भारत के खुले समर्थन से अमेरिका में चिंताएं लगातार बढ़ती हुई नज़र आई थी.
क्या है अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) वारंट?
राष्ट्रपित पुतिन के खिलाफ ICC द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के बाद यह उनकी विदेश यात्राओं को लेकर बढ़ते आत्मविश्वास को भी लगातार दर्शाता है. तो वहीं, भारत ICC का सदस्य नहीं है और इसलिए वारंट को लागू करने के लिए अनुमति फिलहाल के लिए नहीं दी गई है. रूस के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोफ़ ने इस यात्रा को ‘भव्य और बेहद ही कामयाब’ बताया है. यह शिखर सम्मेलन दोनों देशों की तरफ से दुनिया को यह संदेश देगा कि ‘दोनों के ही पास शक्तिशाली दोस्त हैं’.
परमाणु ऊर्जा में भारत-रूस की साझेदारी
बात करें परमाणु ऊर्जा कि तो, परमाणु ऊर्जा में साझेदारी भारत-रूस संबंधों का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा में से एक माना जाता है. पुतिन की यात्रा के दौरान तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की आगामी इकाइयों (यूनिट 5 और 6) के निर्माण को लेकर अहम चर्चा भी की जा सकती है. इस बढ़ते सहयोग से भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में एक बेहद ही महत्वपूर्ण कदम की तरफ इशारा करता है.
अंतरिक्ष सहयोग में दोनों देशों के बीच का संबंध
अंतरिक्ष सहयोग में भी दोनों देश के बीच काफी अच्छा संबंध देखने को मिला है. जहां, भारत ने अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. तो वहीं, वर्तमान समय में रूस भारत के गगनयान मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण देने में भी अहम भागीदारी करने में लगातार मददगार भी साबित हो रहा है. इस यात्रा के दौरान भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों या फिर संयुक्त प्रौद्योगिकी विकास पर नए समझौते होने की भी जल्द ही संभावना है.
साल 2024 में पीएम मोदी ने किया था रूस का दौरा
देखा जाए तो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल की पहली द्विपक्षीय यात्रा के रूप में जुलाई साल 2024 में रूस का दौरा किया था. इस दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी यात्रा से पहले मॉस्को का दौरा किया था. यह यात्रा भारत और रूस के रक्षा संबंधों को और भी ज्यादा मजबूत करने के साथ-साथ सुरक्षा को नया आकार देने की क्षमता भी रखती है. यह यात्रा व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए भी भी ज्यादा महत्वपूर्ण है. पश्चिमी बाजारों से कटने के बाद रूस भारत को एक आर्थिक भागीदार मानता आ रहा है. तो वहीं, दोनों देश भारतीय रुपये और रूसी रूबल में द्विपक्षीय व्यापार करने के की कोशिश को आगे भी जारी रखेंगे, जिससे आने वाले समय में डॉलर पर निर्भरता कम हो सके.