India-Canada Relation: जहां भारत और अमेरिका के रिश्तों में ट्रैरिफ की वजह से खटास आई है। वहीं भारत और कनाडा ने एक साथ अपने नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति का ऐलान किया है। इसे देशों के बीच रिश्तों के नई शुरुआत का संकेत समझा जा सकता है। हाल के सालों में जस्टिन ट्रूडो के सरकार में खालिस्तान विवाद और राजनीतिक तनाव के चलते दोनों देशों के संबध बेहद खराब हो गए थे। लेकिन अब ये संबंध अब धीरे-धीरे पटरी पर लौटते दिख रहे हैं।
दोनों देशों का यह कदम हज़ एक औपचारिक बदलाव नहीं बल्कि इस बात का संकेत है कि भारत और कनाडा अपने रिश्तों में आई दरार को पीछे छोड़कर एक नई साझेदारी की ओर बढ़ना चाहते हैं। ट्रूडो युग की छाया धीरे-धीरे छंट रही है और दोनों देश अब व्यावहारिकता और साझा हितों के आधार पर आगे बढ़ते नज़र आ रहे हैं।
इस वजह से भारत ने राजनयिकों को किया था निष्कासित
दरअसल, दोनों देशों के बीच कूटनीतिक बातचीत कई बार टूटने के कगार पर पहुँच गई थी। 2023 में कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था। भारत ने कड़े कदम उठाते हुए कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और वीज़ा सेवाएँ भी बंद कर दीं।
कार्नी के साथ बदल रही है स्थिति
इसका असर द्विपक्षीय व्यापार और छात्र वीज़ा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी पड़ा। लेकिन ट्रूडो के सत्ता से हटने और मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, स्थिति बदलने लगी। जी-7 शिखर सम्मेलन (जून 2024) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कार्नी के बीच हुई बैठक में इस गतिरोध को तोड़ने और संबंधों को फिर से बनाने पर सहमति बनी।
खालिस्तानी गतिविधियों पर कोई समझौता नहीं
भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वह कनाडा के साथ संबंध सामान्य करना चाहता है, लेकिन खालिस्तानी गतिविधियों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। नई नियुक्ति इस बात का संकेत है कि दिल्ली अब ओटावा के साथ बातचीत बहाल करने के लिए तैयार है।
वहीं कनाडा के लिए भारत न केवल एक रणनीतिक साझेदार है, बल्कि उसके सबसे बड़े प्रवासी समुदाय का घर भी है। भारतीय छात्रों और पेशेवरों की बढ़ती संख्या कनाडा की अर्थव्यवस्था और समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कार्नी सरकार इस असंतोष को दूर करके संबंधों को बेहतर बनाना चाहती है।
भारत और कनाडा दोनों की ज़रूरतें भी इस ‘रीसेट’ के लिए मजबूर कर रही हैं। भारत उत्तरी अमेरिका में अपने आर्थिक और तकनीकी सहयोग को मज़बूत करना चाहता है। कनाडा अमेरिका और पश्चिमी साझेदारों के साथ तालमेल बिठाते हुए भारत की अनदेखी नहीं कर सकता। शिक्षा, निवेश और आपसी व्यापार दोनों देशों के लिए अपार अवसर पैदा कर सकते हैं।
जानें भारत-कनाडा के रिश्तों का टाइमलाइन
- 2018-ट्रूडो की भारत यात्रा विवादों में घिरी, खालिस्तान मुद्दे पर असहमति।
- 2020-किसान आंदोलन पर ट्रूडो की टिप्पणी से संबंधों में खटास।
- 2023-निज्जर हत्याकांड; ट्रूडो के आरोपों के कारण संबंध सबसे निचले स्तर पर।
- 2024-मोदी-कार्नी मुलाकात, संबंधों को पटरी पर लाने का संकल्प।
- 2025-भारत और कनाडा संयुक्त रूप से उच्चायुक्तों की बहाली की घोषणा करते हैं

