India Agni-V Bunker Buster Missile: ईरान के परमाणु संयंत्रों पर अमेरिका ने जिस बी-2 बमवर्षक विमानों से बम बरसाए थे। भारत ने बंकर बस्तर बम को विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। वैश्विक स्तर पर घटित हो रही घटनाओं पर भारत काफी पैनी नजर बनाए रखता है। इजरायल-ईरान युद्ध के बीच अमेरिका ने 22 जून को ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर अपने बी-2 बमवर्षक विमानों से बंकर-बस्टर बम गिराए थे। इस हवाई हमले में ईरान के प्रमुख परमाणु संयंत्र को काफी नुकसान पहुंचा। दरअसल, ईरान ने फोर्डो परमाणु संयंत्र को पहाड़ों के बीच जमीन से 100 मीटर नीचे बनाया था, जिसे सामान्य विस्फोट से नुकसान नहीं पहुंच सकता।
भारत ने बंकर बस्टर बम बनाने का प्रयास किया तेज
भारत ने भी उन्नत बंकर-बस्टर बम विकसित करने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। हाल के वैश्विक संघर्षों से सीखते हुए, देश एक नई और शक्तिशाली मिसाइल प्रणाली विकसित करके भविष्य के युद्धों की तैयारी कर रहा है, जो दुश्मन के परमाणु प्रतिष्ठानों और अन्य रणनीतिक बुनियादी ढांचे को जमीन के अंदर तक मार गिराने में सक्षम होगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) अग्नि-V अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का संशोधित संस्करण विकसित कर रहा है। अग्नि-V के मूल संस्करण की रेंज 5000 किलोमीटर से अधिक है और यह आमतौर पर परमाणु वारहेड ले जाता है। इसका संशोधित संस्करण एक पारंपरिक हथियार होगा जो 7500 किलोग्राम के विशाल बंकर-बस्टर वारहेड को ले जाने में सक्षम होगा।
क्या होगी इसकी खासियत?
कंक्रीट की मजबूत परतों के नीचे बने दुश्मन के सैन्य और सामरिक प्रतिष्ठानों पर हमला करने के लिए डिज़ाइन की गई यह मिसाइल विस्फोट करने से पहले जमीन में 80 से 100 मीटर तक धंस जाएगी। भारत द्वारा इस मिसाइल का विकास अमेरिका की क्षमताओं से मेल खाने के उसके इरादे को दर्शाता है, जिसने हाल ही में ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर हमला करने के लिए दुनिया के सबसे बड़े पारंपरिक बंकर-बस्टर बम GBU-57/A का इस्तेमाल किया था। अमेरिका ने ईरानी परमाणु संयंत्र पर कुल 14 GBU-57/A बम गिराए। GBU-57 और इसके पूर्ववर्ती GBU-43 ने गहरे पैठ वाले हथियारों के क्षेत्र में मानक स्थापित किए हैं।