Amrullah Saleh On Deoband: अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है, जिसके चलते वो चर्चा में हैं. भारत को दिवाली की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने एक ऐसी टिप्पणी की जिससे राजनीतिक और धार्मिक हलकों में हलचल मच गई. सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए सालेह ने भारत को आगाह किया कि देश के लिए एक “खतरा” उत्तर प्रदेश के देवबंद स्थित एक मदरसे से उत्पन्न हो रहा है.
उन्होंने लिखा, “सभी भारतीयों और दुनिया भर के हिंदुओं को दिवाली की शुभकामनाएँ! मैं आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ, लेकिन देवबंद मदरसे पर नज़र रखें.”
तालिबान और दारुल उलूम देवबंद
उनका यह बयान तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के हाल ही में भारत दौरे और दारुल उलूम देवबंद के दौरे के बाद आया है. सालेह के इस बयान को इसी घटना से जोड़कर देखा जा रहा है. मुत्तकी के दौरे ने इसलिए भी सुर्खियां बटोरीं क्योंकि देवबंद मदरसा महिलाओं की शिक्षा के समर्थन के लिए जाना जाता है, जबकि तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा और स्वतंत्रता पर कई प्रतिबंध लगाए हैं. इसी विरोधाभास के कारण, मुत्तकी के देवबंद दौरे ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया और सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी.
दुनिया के अमीर देशों में कैसे शामिल हुआ यह कंट्री? आबादी जान चक्कर खाकर गिर पड़ेंगे आप!
देवबंद जैसे मदरसे कट्टरपंथी विचारधारा का स्रोत – सालेह
सालेह का दावा है कि देवबंद जैसे मदरसे कट्टरपंथी विचारधारा के प्रसार का स्रोत बन सकते हैं और भारत को सतर्क रहने की ज़रूरत है. हालाँकि, दारुल उलूम देवबंद ने हमेशा यह कहा है कि यह एक धार्मिक और शैक्षणिक संस्थान है जो किसी भी प्रकार के उग्रवाद या राजनीतिक एजेंडे का समर्थन नहीं करता है.
भारत-तालिबान संबंधों पर पड़ेगा असर!
गौरतलब है कि अमरुल्लाह सालेह लंबे समय से तालिबान और पाकिस्तानी सेना के जिहादी एजेंडे के कट्टर विरोधी रहे हैं. अगस्त 2021 में जब तालिबान ने काबुल पर कब्ज़ा किया था, तब वह तत्कालीन उपराष्ट्रपति थे और बाद में अहमद मसूद के साथ तालिबान विरोधी विद्रोही समूह में शामिल होकर लड़ाई जारी रखी. उनके इस ताजा बयान को भारत-तालिबान संबंधों पर असर डालने वाले कदम के तौर पर देखा जा रहा है.

