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इस देश को सिर्फ 24 घंटे के लिए मिला नया प्रधानमंत्री, वजह जानकार उड़ जाएंगे होश

Thailand gets New PM: थाईलैंड के उप प्रधानमंत्री सूर्या जुंगरुंगरेंगकिट को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया, लेकिन उनका कार्यकाल केवल एक दिन का होगा।

By: Deepak Vikal | Published: July 2, 2025 8:08:28 PM IST



Thailand gets New PM: इस वक्त थाईलैंड राजनीतिक उठा-पटक से गुजर रहा है। अब इसमें एक और दिलचस्प  किस्सा जुड़ गया है। दरअसल प्रधानमंत्री पटोंगटार्न शिनावात्रा को मंगलवार को एक लीक कॉल के कारण निलंबित कर दिया गया। अब उनकी जगह उप प्रधानमंत्री सूर्या जुंगरुंगरेंगकिट को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया, लेकिन उनका कार्यकाल केवल एक दिन का होगा।

लीक कॉल में पटोंगटार्न ने कथित तौर पर सेना की आलोचना की और कंबोडिया के पक्ष में बयान दिया, जिसे थाई संविधान के तहत मंत्रिस्तरीय आचार संहिता का उल्लंघन माना जा रहा है। संवैधानिक न्यायालय ने कहा कि उनके खिलाफ पर्याप्त संदेह है, इसलिए उन्हें जांच पूरी होने तक निलंबित कर दिया गया है। उन्हें 15 दिनों में जवाब देना होगा।

24 घंटे का प्रधानमंत्री!

निलंबन के तुरंत बाद 70 वर्षीय सूर्या को बुधवार के लिए कार्यवाहक प्रधानमंत्री बना दिया गया। वे वर्तमान में परिवहन मंत्री और उप प्रधानमंत्री हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह वही दिन था जब बैंकॉक में प्रधानमंत्री कार्यालय की 93वीं वर्षगांठ मनाई जा रही थी और सूर्या 93 घंटे भी उस पद पर नहीं रह पाएंगे।

पूर्व नियोजित कैबिनेट फेरबदल के तहत गुरुवार को फुमथम वेचायाचाई को नया गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री बनाया जाएगा। पार्टी के अनुसार उप प्रधानमंत्री पद की वरिष्ठता के कारण फुमथम को सूर्या की जगह देश की बागडोर सौंपी जाएगी।

कौन हैं पातोंगतारन?

पातोंगतारन थाईलैंड की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक विरासत से आती हैं और पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा की बेटी हैं। वे अगस्त 2023 में प्रधानमंत्री बनीं, लेकिन विवाद और सत्ता संघर्ष के कारण उनका कार्यकाल संकट में आ गया है। पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा को 2006 में सैन्य तख्तापलट के जरिए सत्ता से हटा दिया गया था। तब से उनका परिवार लगातार थाई राजनीति में विवादों और सत्ता संघर्ष का केंद्र रहा है।

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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि प्रधानमंत्री का यह निलंबन महज संवैधानिक या कानूनी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि सेना और रूढ़िवादी ताकतों द्वारा लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को एक बार फिर कमजोर करने का प्रयास है।

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