Trump New Tariff Bill : भारत और रूस की दोस्ती इस समय अमेरिका की आँखों में खटक रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति इस दोस्ती को तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसके अलावा, उनके नेताओं ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है।
इसी सिलसिले में, अमेरिका के दो बड़े नेताओं लिंडसे ग्राहम (रिपब्लिकन) और रिचर्ड ब्लूमेंथल (डेमोक्रेट) ने मिलकर एक विधेयक पेश किया है, जिसमें रूस से तेल और यूरेनियम खरीदने वाले देशों पर ज़्यादा टैक्स लगाने की बात कही गई है।
यह विधेयक भारत और चीन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है क्योंकि दोनों देश अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का 70 प्रतिशत रूस से खरीदते हैं। नए विधेयक को रूस प्रतिबंध अधिनियम 2025 नाम दिया गया है।
रूस को सजा देने के लिए लाया गया बिल
रिपोर्टों के अनुसार, इस विधेयक के अनुसार, यदि कोई भी देश रूस से तेल, गैस या यूरेनियम खरीदता है, तो उस देश से अमेरिका आने वाले सामान पर 500 प्रतिशत का कर लगाया जाएगा। अमेरिकी नेता रिचर्ड ब्लूमेंथल ने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि दुनिया ऊर्जा के लिए रूस पर निर्भर न रहे और यूक्रेन युद्ध के लिए रूस को दंडित किया जा सके।
इस विधेयक को अमेरिका के दोनों दलों के 80 से ज़्यादा सांसदों का समर्थन प्राप्त है। अमेरिका का कहना है कि रूस के युद्ध कोष को कम करने के लिए यह ज़रूरी है। अमेरिकी सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने इसी हफ़्ते रोम में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की और उन्हें मज़बूत अमेरिकी समर्थन का वादा किया।
बिल पास होने से भारत पर क्या पड़ेगा असर?
अगर यह विधेयक लागू होता है, तो इसका सबसे ज़्यादा असर भारत पर पड़ सकता है। यह विधेयक सामान्य आर्थिक प्रतिबंधों से अलग है। इसका असर न सिर्फ़ रूसी कंपनियों और बैंकों पर पड़ेगा, बल्कि उन सभी देशों के लिए भी झटका है जो रूस से ऊर्जा या तेल खरीदते हैं।
भारत ने वर्ष 2024 में अपने कुल तेल आयात का लगभग 35 प्रतिशत रूस से खरीदा था। अगर इतना ज़्यादा कर लगाया जाता है, तो भारत, चीन, तुर्की और अफ्रीका जैसे देशों से सामान अमेरिका जाना बंद हो जाएगा।
भारत और रूस ने सस्ता तेल खरीदकर घरेलू मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखा है। अगर अमेरिका 500 प्रतिशत कर लगाता है, तो वहाँ भेजे जाने वाले सामान की कीमत इतनी बढ़ जाएगी कि उसे खरीदने वाला कोई नहीं होगा।
ट्रंप पर है अब सब निर्भर
इस विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसमें बेहद अहम भूमिका निभाने वाले हैं। उनके पास इस टैरिफ को 180 दिनों तक रोकने का अधिकार होगा, लेकिन इसके लिए उन्हें अमेरिकी संसद की अनुमति की आवश्यकता होगी।
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