IGIMS Patna: पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। सुनकर आपको शायद ही यकीन हो। दरअसल, 42 साल के एक व्यक्ति की दाहिनी आँख में एक दांत उग आया था। डॉक्टरों के अनुसार, यह एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है, जो चिकित्सा विज्ञान में कुछ ही मामलों में दर्ज की गई है।
मरीज को क्या लक्षण दिखाई दिए?
शुरुआत में मरीज को दांतों से खून आने की शिकायत थी। कुछ देर बाद, उसने देखा कि उसके चेहरे पर एक गांठ बन रही है। इसके बाद कई तरह की समस्याएँ बढ़ गईं, आँखों के पास सूजन, धुंधला दिखाई देना, सिर के दाहिने हिस्से में लगातार दर्द, चक्कर आना और थकान, हमेशा नींद आना। ये लक्षण इतने गंभीर हो गए कि मरीज का सामान्य जीवन और कामकाज पर असर पड़ने लगा।
जांच में सामने आया चौंकाने वाला सच
जब मरीज का सीबीसीटी स्कैन (कोन बीम सीटी स्कैन) किया गया, तो डॉक्टरों को पता चला कि दांत की जड़ें उसकी आँख के नीचे (ऑर्बिट के तल) विकसित हो गई थीं। दाँत का ऊपरी हिस्सा (क्राउन) मैक्सिलरी साइनस तक पहुँच गया था। हालाँकि यह दाँत अपनी नार्मल स्थान पर नहीं था, इसलिए शरीर ने इसे एक बाहरी वस्तु मान लिया और इसके चारों ओर एक सिस्ट बना दिया। यही सिस्ट चेहरे पर सूजन और हड्डी के पिघलने का मुख्य वजह बना।
ऐसा क्यों हुआ?
विशेषज्ञ डॉक्टरों का मानना है कि यह एक विकासात्मक विसंगति है। जब बच्चा गर्भ में होता है और उसका चेहरा और दाँत विकसित हो रहे होते हैं, तो कभी-कभी दाँत बनाने वाले तत्व अपनी सही जगह पर न रहकर दूसरे हिस्सों में चले जाते हैं। इस मामले में, वही तत्व आँख के नीचे चला गया और दाँत के रूप में विकसित हो गया।
सर्जरी कितनी मुश्किल थी?
चूँकि दाँत आँख के एक बहुत ही नाज़ुक हिस्से (कक्षा तल) में था और वहाँ से कई महत्वपूर्ण नसें गुजरती हैं, इसलिए यह सर्जरी काफी मुश्किल भरा था। डॉक्टरों ने फैसला किया कि बाहरी चीरे के बजाय, मुँह के भीतर से चीरा लगाकर (इंट्रा ओरल सर्जरी) दाँत निकाला जाए ताकि चेहरे पर कोई निशान न रहे। तकरीबन 10-12 टांके लगाकर यह सर्जरी पूरी की गई। ऑपरेशन के बाद, मरीज़ की आँखों की रोशनी बिल्कुल सामान्य हो गई है और उसका चेहरा भी सामान्य नजर रहा है।
ऐसे मामले कितने दुर्लभ हैं?
मैक्सिलोफेशियल सर्जनों के मुताबिक, इंडिया में अब तक ऐसे केवल 2-3 मामले ही सामने हैं। साल 2020 में चेन्नई में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था। चिकित्सकीय भाषा में, इस स्थिति को एक्टोपिक टूथ (गलत जगह पर उग आया दांत) या सुपरन्यूमेरी टूथ (अतिरिक्त दांत) कहा जाता है।
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