मुग़ल काल में हरम में बहुत रौनक रहा करती थी. हालांकि, एक सवाल सबके मन में आता है कि जब भारत में मुगलों के दौर का पतन हुआ तब हरम का क्या हुआ ?. आज हम आपको भारत के आखिरी मुग़ल बादशाह रहे बहादुर शाह जफ़र के हरम से जुड़ा किस्सा सुनाने जा रहे हैं. मुग़ल बादशाह जफ़र अपनी ढलती उम्र के कारण राज काज पर कुछ ख़ास ध्यान नहीं रख पाते थे. ऐसा ही हाल उनके हरम का हो चुका था, जफ़र के हरम में पूरी तरह अराजकता का माहौल बन गया था. जहां रहने वाली लड़कियों और महिलाओं के बीच डर नाम की चीज लगभग लगभग खत्म सी हो गई थी.

कभी भी कोई भी घुस आता था हरम में
मुगलों के दौर में वैसे तो बादशाह के अलावा किसी को भी हरम में जाने की इजाजत नहीं होती थी लेकिन बहादुर शाह जफ़र के दौर में जब मुगलों का पतन हो रहा था तब तक सबकुछ बदल चुका था. इतिहासकार बताते हैं कि बहादुर शाह जफ़र के दौर में हरम की व्यवस्था इस कदर लचर हो चुकी थी कि कोई भी यहां घुस आता था. ऐसा ही एक किस्सा बड़ा मशहूर है कि बादशाह के हरम में एक रोज कुछ लड़के भीतर तक घुसे चले आए. बाद में इन्हें बाहर किया गया लेकिन जब ये बात बादशाह को पता चली तो वे खूब नाराज हुए थे. हालांकि, इस घटना ने हरम की लचर व्यवस्था की पोल जरूर खोल दी थी.
अंग्रेजों ने तहस-नहस किया हरम
इतिहासकार बताते हैं कि 1857 की क्रांति को कुचलने के बाद अंग्रेजों ने दिल्ली पर धावा बोला. यह क्रांति बहादुर शाह जफ़र के बैनर तले ही लड़ी जा रही थी ऐसे में अंग्रेजों ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा. जफ़र को देश निकाला मिला वहीं उनके हरम को तहस-नहस कर दिया गया. हरम की इमारत को बहुत नुकसान पहुंचाया गया यहां तक कि शाही परिवार के कई सदस्यों और ख़ास दरबारियों को फ़ौरन ही फांसी की सजा सुना दी गई थी.