UP: एक साथ एक ही समय 6 जगह नौकरी कर बनाये 3 करोड़, FIR दर्ज

Jobs in Six Places: यूपी के रहने वाले एक शख्स ने एक साथ 6 जगह नौकरी कर बड़ी रकम बनायी है। हाल में FIR दर्ज हो चुकी है। जांच में और भी नाम सामने आए हैं। जानिये क्या है पूरा खुलासा।

Published by Sharim Ansari

एक चौंकाने वाला केस उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग से सामने आया है, जिसमे एक शख्स 6 जिलों में नौकरी करता रहा वो भी 9 साल तक। हैरान करने वाली बात ये है कि उस शख्स ने 3 करोड़ से ज़्यादा कमाई की और किसी को दूर-दूर तक भनक भी नहीं लगी। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अंदर ऐसा होता रहा, जिससे पता चलता है कि सिस्टम यहां पर कमज़ोर पड़ गया। 

चौंकाने वाली बात है कि हूबहू नाम (अर्पित सिंह), पिता (अनिल कुमार सिंह) और पता (प्रताप नगर शाहगंज, आगरा) लेकिन आधार नंबर बदले हुए। जाहिर है कि फेक आधार कार्ड इस्तेमाल किया गया है ऐसा काम करने के लिए।

ऐसे आया मामला सामने

2016 में 403 एक्स-रे टेक्नीशियन की भर्ती हुई। नौ साल तक सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन वर्तमान में जब विभाग ने मानव संपदा पोर्टल से इसको मैच किया तो पता चला कि एक ही शख्स विभिन्न जगहों पर नौकरी कर रहा था।

हाथरस में मुरसान सीएचसी में तैनात; बलरामपुर में तुलसीपुर सीएचसी में तैनात; रामपुर में बिलासपुर सीएचसी से लेकर जिला क्षय रोग कार्यालय तक कार्यरत; बांदा में 2017 से नरैनी सीएचसी में तैनात, मामला सामने आते ही फरार; शामली और अमरोहा में अर्पित सिंह दोनों जिलों में एक्स-रे टेक्नीशियन के तौर पर दर्ज है।

इतने रुपयों का हुआ घोटाला

एक्स-रे टेक्नीशियन को लगभग 50,000 रुपये प्रति माह औसतन सैलरी मिलती है। इस तरह से उसने 1 साल में कुल 6 लाख रुपये कमाए, जिससे नौ साल में यह रकम 54 लाख रुपये हो जाती है। अब देखा जाए तो अगर अर्पित सिंह 6 अलग-अलग जिलों में नौकरी कर रहा था, तो कुल रकम 3 करोड़ 24 लाख रुपये होती है। यानी सरकार कि जेब से करोड़ों रुपये की ठग लिए गए और विभाग को होश तक न रहा।

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FIR दर्ज, तलाश जारी

केस के सामने आने के बाद, डायरेक्टर जनरल (DG) हेल्थ रतन पाल सुमन ने इस घोटाले की जांच के लिए एक स्पेशल कमिटी गठित की। पैरामेडिकल निदेशक डॉ. रंजना खरे की देख-रेख में जांच हुई और रिपोर्ट की बुनियाद पर लखनऊ के वजीरगंज थाने में एफआईआर (FIR) दर्ज की गई। वर्तमान में, आरोपी अर्पित सिंह की तलाश पुलिस कर रही है।

और भी नाम आए सामने

अर्पित सिंह के बाद, जांच कमिटी की जांच में ऐसे और भी कई नाम सामने आए हैं, जैसे अंकुर (निवासी मैनपुरी) का नाम मानव संपदा पोर्टल पर दो स्थानों पर दर्ज है, पहला मुज़फ़्फ़रनगर के शाहपुर सीएचसी में और दूसरा मैनपुरी के भोगांव सीएचसी में। अंकित सिंह (निवासी हरदोई) – लखीमपुर, गोंडा, ललितपुर, लखीमपुर, गोंडा, हरदोई और बदायूं के पाँच ज़िलों में एक्स-रे टेक्नीशियन की पोस्ट पर काम करते पाए गए। इन मामलों में अभी जांच-पड़ताल जारी है और जल्द ही FIR दर्ज होने की उम्मीद है।

लंबी हो सकती है प्रक्रिया

इस केस में गिरफ्तारी नहीं बल्कि ठगे गए रुपयों को बरामद करना है। जिन आधार कार्डों के ज़रिए नौकरी हासिल की गई, वे फ़र्ज़ी निकले। जिन बैंक एकाउंट्स में रूपए जमा किए गए, वे भी फेक डाक्यूमेंट्स से खोले जा सकते हैं। कई अधिकारियों को भर्ती के नौ साल बाद रिटायरमेंट मिली है, इसलिए ज़िम्मेदारी तय करना मुश्किल हो सकता है। लॉ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि वसूली के लिए लंबे प्रोसेस से गुज़रना होगा और इसमें सालों लग सकते हैं।

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