टेक कंपनियों Apple और Google ने हाल ही में ऐसे दो ऐप्स को अपने स्टोर्स से हटा दिया है, जिनका मकसद अमेरिकी इमीग्रेशन एजेंट्स की लोकेशन बताना था. इन ऐप्स के नाम थे ICEBlock और Red Dot. इन दोनों ऐप्स के ज़रिए यूज़र्स US Immigration and Customs Enforcement (ICE) एजेंट्स की गतिविधियों की जानकारी साझा कर सकते थे और उनके आसपास की अलर्ट लोकेशन देख सकते थे. Apple ने सबसे पहले ICEBlock को अपने App Store से हटाया, और उसके अगले ही दिन Google ने Red Dot ऐप को Play Store से हटा दिया. दोनों कंपनियों का कहना है कि ये ऐप्स “उच्च दुरुपयोग जोखिम” (high risk of abuse) वाले हैं, इसलिए इन्हें पॉलिसी उल्लंघन के कारण डिलीट किया गया.
Google ने क्यों हटाया Red Dot ऐप
Google ने पुष्टि की कि Red Dot ऐप को उसकी नीति के अनुसार हटाया गया है, क्योंकि यह ऐप “vulnerable groups” (संवेदनशील समूहों) की लोकेशन शेयर करने में इस्तेमाल किया जा सकता था. कंपनी ने बताया कि उन्होंने किसी भी सरकारी विभाग- जैसे कि US Department of Justice से कोई सीधा संपर्क प्राप्त नहीं किया.
Google ने यह भी स्पष्ट किया कि ICEBlock कभी भी Google Play Store पर उपलब्ध नहीं था, लेकिन उसने ऐसे कई समान ऐप्स को भी हटाया जो यूज़र-जनरेटेड कंटेंट (user-generated content) के ज़रिए लोकेशन साझा करते थे. कंपनी का कहना है कि उनकी मॉडरेशन नीतियां उन सभी ऐप्स पर लागू होती हैं जो लोकेशन या यूज़र डेटा को संवेदनशील तरीके से हैंडल करते हैं.
Apple ने भी उठाया बड़ा कदम
Apple ने ICEBlock ऐप को अपने App Store से हटाने के बाद टेक जगत में बहस छेड़ दी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन ने इस ऐप को लेकर Apple पर दबाव बनाया था. कहा जा रहा है कि सरकार ने ऐप के डेवलपर्स और उन मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी चेतावनी दी थी जो इस ऐप की जानकारी साझा कर रहे थे. Apple ने पुष्टि की कि उसने यह कदम “law enforcement agencies” (कानूनी एजेंसियों) से संपर्क मिलने के बाद उठाया है, हालांकि उसने यह नहीं बताया कि कौन सी एजेंसी थी.
ICEBlock ऐप को लेकर विवाद क्यों हुआ
ICEBlock ऐप अमेरिका में तेज़ी से लोकप्रिय हो गया था. इसके ज़रिए यूज़र्स पांच मील के दायरे में मौजूद ICE एजेंट्स की रियल-टाइम लोकेशन देख सकते थे. समर्थकों का कहना था कि यह ऐप उन लोगों के लिए सुरक्षा का जरिया था जो इमीग्रेशन एजेंट्स से डरते हैं, लेकिन आलोचकों ने इसे कानून व्यवस्था के लिए खतरा बताया.
कुछ दिनों पहले एक ICE सुविधा (facility) में हुई हिंसा की घटना के बाद, सरकार और टेक कंपनियों ने ऐसे ऐप्स को हटाने का फैसला किया. Apple और Google दोनों का कहना है कि वे ऐसे किसी भी ऐप को अनुमति नहीं देंगे जो हिंसा, डर या असुरक्षा फैलाने का जरिया बन सकता है.
गोपनीयता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल
इस पूरे विवाद ने अमेरिका में privacy rights (गोपनीयता अधिकार) और free speech (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) पर नई बहस शुरू कर दी है. जहां कुछ लोग इसे सरकार का तकनीक में हस्तक्षेप मान रहे हैं, वहीं कई इसे सुरक्षा की दिशा में ज़रूरी कदम बता रहे हैं.