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इस दिन से शुरू हो रहा पितृपक्ष, जानें क्या होता है काम्य श्राद्ध और इसे जुड़े महत्व और नियम?

Pitrupaksha 2025: इस वर्ष पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहा है, पहला श्राद्ध पूर्णिमा श्राद्ध है, इस दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि को हुई थी। इसके अलावा, श्राद्ध पक्ष का समापन सर्व पितृ अमावस्या को होता है।

By: Akriti Pandey | Published: August 21, 2025 5:50:50 PM IST



Pitrupaksha 2025: इस वर्ष पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहा है, पहला श्राद्ध पूर्णिमा श्राद्ध है, इस दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि को हुई थी। इसके अलावा, श्राद्ध पक्ष का समापन सर्व पितृ अमावस्या को होता है। दरअसल, पूर्वज अपने परिजनों का तर्पण करने की इच्छा लेकर धरती पर आते हैं। जो लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं, पूर्वज उनसे संतुष्ट होते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। कहा जाता है कि श्राद्ध पक्ष में किए गए श्राद्ध से पूर्वज एक वर्ष तक संतुष्ट रहते हैं। यहां हम आपको काम्य श्राद्ध के बारे में बताएंगे।

काम्य श्राद्ध होता क्या है?

काम्य श्राद्ध एक प्रकार का श्राद्ध है जो आप किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए करते हैं। कहा जाता है कि अगर किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए श्राद्ध किया जाए, जैसे संतान प्राप्ति, धन-समृद्धि या पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए, तो उसे काम्य श्राद्ध कहते हैं। किस श्राद्ध से क्या फल मिलता है, कौन सी मनोकामना पूरी होती है, यह आग्नेय पुराण में लिखा है।

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अष्टमी को श्राद्ध करने से होती है धन की प्राप्ति

आग्नेय पुराण के अनुसार प्रतिपदा को श्राद्ध करने वाले को धन की प्राप्ति होती है। द्वितीया को श्राद्ध करने से उत्तम स्त्री की प्राप्ति होती है। चतुर्थी को श्राद्ध करने से धर्म और कर्म की प्राप्ति होती है। पुत्र की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को पंचमी को श्राद्ध करना चाहिए। षष्ठी को श्राद्ध करने से मनुष्य महान बनता है। सप्तमी को श्राद्ध करने से कृषि में लाभ होता है और अष्टमी को श्राद्ध करने से धन की प्राप्ति होती है। नवमी को श्राद्ध करने से घोड़े आदि एक खुर वाले पशु प्राप्त होते हैं। दशमी को श्राद्ध करने से गौ समुदाय में समृद्धि आती है। एकादशी को श्राद्ध करने से कुल की वृद्धि होती है और द्वादशी को श्राद्ध करने से धन-धान्य की वृद्धि होती है। त्रयोदशी को श्राद्ध करने से कुल में श्रेष्ठता प्राप्त होती है। चतुर्दशी को शस्त्र से मारे गए व्यक्ति का श्राद्ध किया जाता है। अमावस्या को सभी मृत व्यक्तियों का श्राद्ध करने का विधान है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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