Uttarakhand Village: भगवान हनुमान को कलयुग का देवता माना जाता है। मंगलवार को हनुमान का दिन माना जाता है। वैसे तो हर जगह भगवान हनुमान का मंदिर है, लेकिन भारत में एक स्थान जहां इनका नाम लेना भी सख्त मना है। यहां राम तो पूजे जाते हैं, लेकिन हनुमान जी की पूजा करना साफ तौर पर मना है। यहां तक कि यहां हनुमान जी का कोई मंदिर भी नहीं है। यहां दूर-दूर तक हनुमान का कोई भक्त भी नहीं है। यहां के लोग बजरंग, संकटमोचन और मारुति जैसे नाम लेने से भी दूरी रखते हैं।
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क्या है इसके पीछे का कारण?
दरअसल इसके पीछे की कहानी रामायण काल से जुड़ी हुई है। उत्तराखंड के चमोली में एक द्रोणागिरि नाम का गांव है। इसी गांव में हनुमान जी का नाम लेना सख्त मना है। इस गांव में हनुमान की कोई मूर्ति, कोई मंदिर नहीं है। यहां सिर्फ राम जी की पूजा की जाती है। यहां के निवासी हनुमान जी से रामायण काल से लेकर अब तक नाराज हैं। यहां के लोग राम के शत्रु निंबा दैत्य की पूजा करते हैं।
आखिर क्यों यहां नहीं होती हनुमान जी की पूजा?
मान्यताओं के अनुसार जब लक्ष्मण जी रावण के साथ हो रहे युद्ध में बेहोश होकर गिर गए थे। तब जड़ी-बूटी खोजते हुए हनुमान जी को समझ नहीं आया कि उन्हें कौन सी बूटी लेनी है। जिसके बाद वह पूरे पर्वत को ही उठाकर लक्ष्मण जी की जान बचाने के लिए ले आए थे। क्योंकि लक्ष्मण जी की जान हर हाल में बचानी थी। जिसके बाद हनुमान जी के ऐसा करने पर वहां के स्थानीय देवता लाटू देवता ने उन्हें माफ नहीं किया। उस वक्त उनके पहाड़ देवता साधना में लीन थे। पर्वत लाते समय हनुमान जी पहाड़ देवता के दाहिने हाथ को हनुमान जी उखाड़कर ले गए थे। जिसके कारण यहां के लोगों ने आजतक हनुमान जी को माफ नहीं किया है।
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