Shaligram Aarti Lyrics: तुलसी विवाह का पर्व आज मनाया जा रहा है. आज शाम के समय तुलसी विवाह का आयोजन कराया जाएगा. तुलसी विवाह पर माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम से कराया जाता है. जैसे वास्तविक विवाह में हल्दी, मेंहदी, विवाह और विदाई से लेकर सारे कार्यक्रम होते हैं, उसी तरह तुलसी विवाह पर भी सारी रस्में होती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार मां तुलसी असुरराज जलंधर की पत्नी थी. जिसे शंखचूड़ के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जलंधर के वध के लिए भगवान विष्णु ने उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया फिर उसके बाद जलंधर का अंत भगवान शिव ने कर दिया. वृंदा भगवान विष्णु की भक्त थीं, लेकिन अपने पति की मौत की बात पता चलने के बाद उन्होंने अपने प्राण दे दिए.
फिर वहां पर तुलसी का पौधा उग गया. इस पर भगवान विष्णु ने आशीर्वाद दिया कि उनके शालिग्राम अवतार के साथ तुलसी का विवाह होगा. तभी से देवउठनी एकादशी के दूसरे दिन द्वादशी के दिन तुलसी विवाह कराया जाने लगा. इस दिन माता तुलसी के साथ-साथ भगवान शालिग्राम की आरती करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है. तो आइए जानते हैं भगवान शालिग्राम की आरती के बारे में.
Tulsi Vivah 2025: तुलसी विवाह के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां, हो सकता है भारी नुकसान
भगवान शालिग्राम की आरती (Shaligram Ji Ki Aarti)
शालिग्राम सुनो विनती मेरी । यह वरदान दयाकर पाऊं ॥
प्रात: समय उठी मंजन करके । प्रेम सहित स्नान कराऊँ ॥
चन्दन धुप दीप तुलसीदल । वरन -वरण के पुष्प चढ़ाऊँ ॥
तुम्हरे सामने नृत्य करूँ नित । प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं ॥
चरण धोय चरणामृत लेकर । कुटुंब सहित बैकुण्ठ सिधारूं ॥
जो कुछ रुखा सूखा घर में । भोग लगाकर भोजन पाऊं ॥
मन वचन कर्म से पाप किये । जो परिक्रमा के साथ बहाऊँ ॥
ऐसी कृपा करो मुझ पर । जम के द्वारे जाने न पाऊं ॥
माधोदास की विनती यही है । हरी दासन को दास कहाऊं ॥