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Tulsi Mala Explainer: तुलसी माला को पहनने के नियम क्या होते हैं? इसका धार्मिक महत्व क्या है?

Tulsi Mala: सनातन धर्म में तुलसी को एक पौधे की तरह नहीं बल्कि देवी का स्वरूप माना जाता है. उसी प्रकार तुलसी की लकड़ी और तुलसी के पत्ते को भी पवित्र माना जाता है. तुलसी की लकड़ी से तुलसी की माला बनाई जाती है. तो आइए जानते हैं तुलसी माला को पहनने के नियम और धार्मिक महत्व के बारे में.

By: Shivi Bajpai | Published: December 15, 2025 2:25:21 PM IST



Tulsi Mala: सनातन धर्म में तुलसी को एक पौधे की तरह नहीं बल्कि देवी का स्वरूप माना जाता है. उसी प्रकार तुलसी की लकड़ी और तुलसी के पत्ते को भी पवित्र माना जाता है. तुलसी की लकड़ी से तुलसी की माला बनाई जाती है. तो आइए जानते हैं तुलसी माला को पहनने के नियम और धार्मिक महत्व के बारे में.

तुलसी माला क्यों पहनी जाती है?

तुलसी माला मुख्य रूप से भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण की प्रिय मानी जाती है. शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति तुलसी माला धारण करता है, वह अनजाने में भी विष्णु तत्व से जुड़ जाता है. इसे पहनने का उद्देश्य केवल दिखावा नहीं, बल्कि मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करना है.

तुलसी माला पहनने से व्यक्ति के विचारों में सात्त्विकता आती है। क्रोध, अहंकार और नकारात्मक भाव धीरे-धीरे कम होने लगते हैं. यही कारण है कि जप, ध्यान और भक्ति के मार्ग पर चलने वाले लोगों के लिए तुलसी माला को विशेष रूप से उपयोगी माना गया है.

तुलसी माला पहनने के 4 पवित्र नियम

तुलसी माला धारण करना जितना सरल लगता है, उतना ही अनुशासन भी मांगता है. शास्त्रों में इसके कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना आवश्यक माना गया है.

1. शुद्धता का नियम
तुलसी माला पहनने वाले व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए. स्नान के बाद ही माला धारण करनी चाहिए और अपवित्र अवस्था में इसे छूने से बचना चाहिए.

2. मांस-मदिरा से परहेज
तुलसी को पूर्णतः सात्त्विक माना गया है. इसलिए तुलसी माला पहनने वाले व्यक्ति को मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए. यह नियम आत्मसंयम और साधना को मजबूत करता है.

3. अनुचित कार्यों से दूरी
झूठ बोलना, छल करना, दूसरों को कष्ट देना या नकारात्मक कर्म करना तुलसी माला की पवित्रता के विपरीत माना गया है. माला पहनने का अर्थ है अपने आचरण को भी शुद्ध बनाना.

4. सम्मान और श्रद्धा
तुलसी माला को कभी जमीन पर नहीं रखना चाहिए और न ही इसे फैशन की वस्तु की तरह इस्तेमाल करना चाहिए.  यह एक आध्यात्मिक साधन है, इसलिए इसके प्रति श्रद्धा आवश्यक है.

तुलसी माला के आध्यात्मिक लाभ

आध्यात्मिक दृष्टि से तुलसी माला अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती है. कहा जाता है कि यह व्यक्ति के चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा का कवच बना देती है. नकारात्मक शक्तियां और बुरे विचार पास नहीं फटकते.

तुलसी माला पहनकर मंत्र जाप करने से जप का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है, मन जल्दी एकाग्र होता है और ध्यान में स्थिरता आती है. कई साधकों का अनुभव है कि नियमित रूप से तुलसी माला धारण करने से भय, तनाव और मानसिक अशांति कम हो जाती है.

इसके अतिरिक्त, मृत्यु के समय तुलसी माला धारण करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है, ऐसा शास्त्रों में वर्णित है. यही कारण है कि वैष्णव परंपरा में इसका विशेष स्थान है.

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तुलसी माला के वैज्ञानिक लाभ

आधुनिक विज्ञान भी धीरे-धीरे तुलसी के गुणों को स्वीकार कर रहा है. तुलसी की लकड़ी में प्राकृतिक विद्युत और चुंबकीय गुण पाए जाते हैं. जब तुलसी माला गले में पहनी जाती है, तो यह शरीर की ऊर्जा प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव डालती है.

वैज्ञानिकों के अनुसार तुलसी में ऐसे तत्व होते हैं जो तनाव को कम करने, रक्तचाप को संतुलित रखने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक हो सकते हैं. गले के आसपास पहनने से यह हृदय और श्वसन तंत्र पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती है.

इसके अलावा, तुलसी के संपर्क से शरीर में बैक्टीरिया और नकारात्मक सूक्ष्म प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है. यही कारण है कि प्राचीन ऋषियों ने इसे केवल आस्था से नहीं, बल्कि अनुभव और ज्ञान के आधार पर अपनाया था.

तुलसी माला केवल एक धार्मिक आभूषण नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की एक पद्धति है. इसे धारण करने का अर्थ है शुद्ध विचार, सात्त्विक जीवन और आध्यात्मिक उन्नति की ओर कदम बढ़ाना। जब इसे नियम, श्रद्धा और सही भावना के साथ पहना जाता है, तब इसके आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों लाभ अनुभव किए जा सकते हैं.

आज के भौतिक और तनावपूर्ण जीवन में तुलसी माला हमें संतुलन, शांति और सकारात्मकता की ओर लौटने का एक सरल लेकिन प्रभावी मार्ग दिखाती है.

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