Shardiya Navratri Maa Kushmanda: शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की आराधना के लिए समर्पित होता है. इन्हें ब्रह्मांड की सृजनकर्ता देवी माना जाता है. मान्यता है कि मां कूष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रह्मांड की रचना की थी, इसलिए इन्हें “आदि सृष्टिकर्त्री” भी कहा जाता है. देवी का यह रूप भक्तों को तेज, स्वास्थ्य, संपन्नता और ऊर्जा प्रदान करता है. नवरात्रि के चौथे दिन भक्त यदि श्रद्धा से मां की पूजा करें, तो जीवन से अंधकार मिटता है और नई संभावनाओं के द्वार खुलते हैं.
मां कूष्मांडा का स्वरूप
मां कूष्मांडा को आठ भुजाओं वाली देवी के रूप में वर्णित किया गया है. उनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, चक्र, गदा, कमल और अमृत कलश सुशोभित होते हैं. उनका वाहन सिंह है, जो वीरता और शक्ति का प्रतीक है. मां का यह स्वरूप भक्त को भयमुक्त करता है और कठिन परिस्थितियों में आगे बढ़ने की ताकत देता है.
मां कूष्मांडा की पूजा विधि
नवरात्रि के चौथे दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
आवरण पूजा: सबसे पहले गणेश जी और कुल देवताओं का स्मरण करें.
आसन और आवाहन: माता को आसन अर्पित कर उनका आवाहन करें.
स्नान और वस्त्र अर्पण: प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएँ और लाल या नारंगी वस्त्र अर्पित करें.
श्रृंगार और पुष्प अर्पण: माता को रोली, चंदन, पुष्प और हार चढ़ाएँ.
धूप-दीप: कपूर और घी का दीपक जलाकर आरती करें.
भोग: मां को उनका प्रिय भोग अर्पित करें.
पूजन के बाद परिवार सहित आरती करें और प्रसाद का वितरण करें.
मां कूष्मांडा के मंत्र
मां की कृपा पाने के लिए विशेष मंत्र का जप करना अत्यंत लाभकारी होता है.
बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नमः॥
ध्यान मंत्र:
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च.
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
इन मंत्रों का जप श्रद्धापूर्वक करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और साधक के जीवन में हर दिशा से सफलता आने लगती है.
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मां कूष्मांडा का प्रिय भोग
मां कूष्मांडा को कद्दू (कुम्हड़ा) और उससे बने व्यंजन अर्पित करना शुभ माना जाता है. इसके अतिरिक्त दूध से बनी मिठाइयां, मालपुआ, खीर और पंचामृत भी उनके प्रिय भोग हैं. मान्यता है कि इस दिन कद्दू से बनी चीजें चढ़ाने से घर में समृद्धि और आरोग्यता बनी रहती है.

