Mahishashur Mardini Story: विजयदशमी के दिन जहां एक तरफ भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था, तो वहीं मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था. देवी भागवत के कथा के अनुसार नौ दिनों तक मां दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध होता रहा और दसवें दिन यानी कि विजयदशमी के पावन अवसर पर मां दुर्गा ने भगवान शिव के त्रिशूल से महिषासुर का वध कर दिया. यही कारण है कि मां दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है.
महिषासुर को ब्रह्म जी का था वरदान
पौराणिक कथा के अनुसार दैत्यराज महिषासुर के पिता रंभ भी एक असुर था. ऐसा माना जाता है कि रंभ को एक भैंस से प्रेम हो गया जो जल में रहती थी. रंभ और भैंस के संयोग से महिषासुर का जन्म हुआ. यही कारण है कि महिषासुर इंसान और भैंस दोनों का रूप धारण करने की शक्ति रखता था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिषासुर ने कठोर तपस्या कर सृष्टिकर्ता ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था. ब्रह्म जी ने उसे वरदान दिया कि उस पर कोई भी देवता और दावन विजय प्राप्त नहीं कर पाएगा.
मां दुर्गा का अवतरण
ब्रह्मदेव से वरदान मिलने के बाद महिषासुर स्वर्ग लोक में उत्पात मचाने लग गया. उसने इंद्र को परास्त करके स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था. सभी देवताओं को वहां से बाहर निकाल दिया और वहां पर अपना शासन चलाने की कोशिश करने लग गया. सभी देवगण इससे परेशान होकर त्रिमूर्ति ब्रह्म, विष्णु और महेश के पास गए और अपनी समस्या बताई. लेकिन ब्रह्म जी के वरदान के कारण स्वयं ब्रह्म, विष्णु और महेश भी महिषासुर को हरा नहीं सके. पर ये वरदान केवल देवताओं और दानव के लिए था पर मां दुर्गा तो देवी थी इसलिए वो महिषासुर का वध करने में सफल हो गई है.
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महिषासुर का वध
त्रिदेवों के शरीर से शक्ति पुंज निकल कर एकत्रित हुए. इस शक्ति पुंज ने मां दुर्गा का रूप धारण कर लिया. सभी देवताओं ने मां दुर्गा को अपनी-अपनी शक्ति और अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए. नौ दिनों तक चलने वाले इस युद्ध के बाद और विजयदशमी के दिन महिषासुर का वध कर दिया.