Sharad Purnima Ka Mehtav: हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. यह दिन अत्यंत पावन और शुभ माना जाता है क्योंकि इसे देवी लक्ष्मी के अवतरण दिवस के रूप में भी पूजा जाता है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है और अमृत बरसाता है. इस दिन मां लक्ष्मी की उपासना, व्रत और दान-पुण्य करने से व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता दूर होती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है. साल 2025 में शरद पूर्णिमा का पर्व 6 अक्टूबर सोमवार को मनाया जाएगा.
शरद पूर्णिमा का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को चांदनी में दिव्य ऊर्जा और अमृत तत्व होता है, इसलिए इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखकर उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करने की परंपरा है. इसे ग्रहण करने से शरीर को रोगों से मुक्ति और मानसिक शांति मिलती है. साथ ही इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करके घर में अखंड धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति की जाती है.
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शरद पूर्णिमा पर करें ये दान
धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन दान-पुण्य करना बेहद शुभ माना गया है. आइए जानते हैं कि इस दिन किन वस्तुओं के दान का विशेष महत्व है:
अनाज और अन्नदान – शास्त्रों में अन्नदान को सर्वोत्तम दान कहा गया है. शरद पूर्णिमा पर गरीबों और जरूरतमंदों को अनाज या भोजन कराना मां लक्ष्मी को प्रसन्न करता है.
सफेद वस्त्र और चावल – सफेद रंग का संबंध चंद्रमा और शांति से है. शरद पूर्णिमा पर सफेद कपड़े, चावल या मिठाई का दान करने से मानसिक शांति और घर में शीतलता बनी रहती है.
दूध और खीर – इस दिन खीर का विशेष महत्व है. खीर का दान करने से दरिद्रता दूर होती है और परिवार में समृद्धि आती है.
धन-दक्षिणा और दीपदान – जरूरतमंदों को धन-दक्षिणा देना या मंदिरों में दीपदान करना शुभ फलदायी माना जाता है. दीपदान से जीवन में अंधकार दूर होता है.
सोना-चांदी या वस्त्र दान – सामर्थ्य अनुसार सोना-चांदी या वस्त्र का दान करने से दीर्घकालिक सुख और लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है.

