Shaadi: जब दो लोगों की शादी होती है तो उसमें कई विधि-विधान को ध्यान में रखा जाता है ताकि बाद में दांपत्य जीवन में किसी भी तरह की परेशानियां न आएं. ऐसे में माना जाता है कि अगर कोई भी विधान पूरा नहीं होता है, तो दापंत्य जीवन में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है. इस विधान में सबसे जरूरी है फेरे. इसके बिना शादी अधूरी मानी जाती है. तो आइए जानते हैं कि शादी में चार या सात कितने फेरे लेना होता है शुभ?
अधिकतर शादियों में सात फेरे लेने का रिवाज़ है, लेकिन सनातन धर्म के अनुसार 4 फेरे लेकर भी शादी पूरी मानी जाती है. चार फेरे के बाद वधू को अग्रि के सामने बिठा दिया जाता है और उसके बाद तीन फेरे लिए जाते हैं. सात फेरे इसलिए लिए जाते हैं कि अग्नि की साथ जीवा हैं और यही वजह है कि अग्नि के साथ फेरे लिए जाते हैं. लेकिन शादी चार फेरे में ही पूरी मानी जाती है. हालांकि अलग-अलग देवताओं का अलग-अलग विधान है और निश्चित है कि किसकी कितनी परिक्रमा लगानी चाहिए, जैसे सूर्य भगवान की हम बात करें तो उनकी 1 फेरे भी लगाते हैं और सात फेरे भी लगाते हैं क्योंकि सूर्य भगवान के 7 घोड़े हैं.
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क्या 4 फेरे पूर्ण हो सकता है विवाह?
इसी प्रकार भगवान गणेश की तीन परिक्रमा लगाई जाती हैं. शिवजी की आधी परिक्रमा लगाई जाती है. भगवान विष्णु की 4 परिक्रमा लगाना शुभ माना जाता है. इन चार फेरों मे 3 फेरों में कन्या आगे रहती है और चौथे फेरे में वर आगे रहता है. जब वर वधू की शादी होती है तो वह माता लक्ष्मी और विष्णु के रूप में होते हैं. इसलिए भगवान विष्णु की 4 परिक्रमा ही लगाई जाती हैं और 4 फेरे में ही शादी सफल मान ली जाती है. लेकिन अग्रि वहां पर मौजूद रहती है इसलिए 3 फेरे उनके लिए भी लगाएं जाते हैं. जो पूरे होकर 7 फेरे हो जाते हैं, जिसे परिक्रमा कहते हैं न कि फेरे. बात करें तो फेरे 4 ही होते हैं और चार फेरों में शादी को सफल मान लिया जाता है. सनातन धर्म में 4 फेरे से विवाह पूर्ण हो सकता है.

