Sanatan Dharma: हिंदू धर्म में मातृत्व और संतान सुख को अत्यंत महत्व दिया गया है. माता-पिता की संतान के प्रति चिंता और उसकी भलाई की कामना को ध्यान में रखते हुए कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. इनमें प्रमुख हैं मां स्कंदमाता, मां ललिता देवी और मां त्रिपुरसुंदरी, जिन्हें संतान सुख और बच्चों के पालन-पोषण में सहायता करने वाली शक्तिशाली देवी माना जाता है. इनकी कृपा से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि बच्चों का स्वास्थ्य, शिक्षा और नैतिक विकास भी सुनिश्चित होता है. श्रद्धालु मानते हैं कि इन देवी-देवियों की भक्ति से घर में सुख-शांति, समृद्धि और संतुलन बना रहता है.
मां स्कंदमाता का महत्व
नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. वे भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं. उनका स्वरूप श्वेत कमल पर विराजमान और सिंह वाहन पर सवार है. माता के एक हाथ में कमल और दो हाथों में आशीर्वाद देने की मुद्रा होती है, जबकि गोद में बाल स्वरूप में स्कंद विराजमान रहते हैं. श्रद्धालु मानते हैं कि उनकी पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है और बच्चों का जीवन सुरक्षित, सुखमय और शिक्षित बनता है.
मां ललिता देवी
मां ललिता देवी को शक्ति और सौंदर्य की देवी माना जाता है. वे देवी शाक्ति का प्रतीक हैं और माता-पिता को संतान की सुरक्षा और उनके गुणों के विकास में मदद करती हैं. मां ललिता की आराधना करने से बच्चों में धैर्य, बुद्धि और नैतिकता का विकास होता है. उनके आशीर्वाद से परिवार में प्रेम, सौहार्द और मानसिक संतुलन बना रहता है.
मां त्रिपुरसुंदरी
मां त्रिपुरसुंदरी को लाल रंग की देवी के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है. वे शक्ति, ज्ञान और सौभाग्य की देवी हैं. माता की पूजा से न केवल संतान सुख मिलता है बल्कि बच्चों की सेहत, शिक्षा और सफलता के मार्ग भी प्रशस्त होते हैं. माता त्रिपुरसुंदरी का आशीर्वाद जीवन में नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा देता है और परिवारिक वातावरण में सुख-शांति बनाए रखता है.
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संतान सुख और पालन-पोषण में इनके उपाय
इन देवी-देवियों की पूजा और ध्यान से संतान सुख की प्राप्ति संभव है. नवरात्रि, विशेष व्रत और माता के मंत्रों का जाप करने से आशीर्वाद शीघ्र मिलता है. माता की तस्वीर या प्रतिमा के सामने दीपक जलाकर नियमित रूप से पूजा करने से परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और बच्चों का पालन-पोषण सहज बनता है.