Premanand Maharaj: मथुरा में प्रेमानंद महाराज से मिलने वालों की भीड़ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अब सिर्फ आम लोग ही नहीं बल्कि फिल्म और खेल जगत की कई बड़ी हस्तियां भी उनके दर्शन के लिए पहुंच रही हैं। अनुष्का शर्मा और विराट कोहली के बाद हाल ही में शिल्पा शेट्टी अपने पति राज कुंद्रा के साथ महाराज जी से मिलने आईं। राज कुंद्रा ने मुलाकात के बाद अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि प्रेमानंद महाराज की सबसे बड़ी खासियत उनकी सकारात्मक ऊर्जा है, जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी मुस्कुराना सिखाती है। उन्होंने बताया कि महाराज जी से मिलकर उन्हें ऐसा लगा मानो जीवन की परेशानियां छोटी हो गई हों और हर मुश्किल का हल आसानी से मिल सकता हो। इस मुलाकात ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया और उनके प्रति सम्मान और बढ़ गया।
एक दिन में कितने लोग मिल सकतें हैं?
आज के समय में हर कोई प्रेमानंद महाराज से मिलना और उनका मार्गदर्शन पाना चाहता है,अनुष्का शर्मा और विराट कोहली जैसे बड़े सितारे भी अक्सर वृंदावन जाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। और हाल ही में शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा भी उनसे मिलने पहुंचे। लेकिन आप को बता दें कि प्रेमानंद महाराज से मुलाकात इतनी आसान नहीं है क्योंकि वे एक दिन में केवल 50–60 लोगों से ही मिलतें हैं, कभी- कभी तो भक्तों को उनसे मिलने के लिए लगभग एक साल तक इंतजार करना पड़ता है।
शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा भी पहुंचे मिलने
हाल ही में शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा ने भी प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की । राज कुंद्रा ने एक इंटरव्यू में बताया कि प्रेमानंद महाराज की सकारात्मकता और कठिन परिस्थितियों में भी मुस्कुराने की शक्ति ने उन्हें काफी प्रभावित किया, राज कुंद्रा ने बताया कि प्रेमानंद जी के मार्गदर्शन से उनकी जिंदगी को एक नई दिशा मिल गई है। उन्होंने आगे बताया कि वे पिछले दो सालों से प्रेमानंद महाराज के प्रवचनों को सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। उनका कहना है कि इन संदेशों से उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी सकारात्मक बने रहने की प्रेरणा मिली है। हाल ही में उन्हें अपनी पत्नी शिल्पा शेट्टी के साथ महाराज जी से मिलने का अवसर मिला, जिसे वे अपने जीवन का सबसे खास पल मानते हैं।
प्रेमानंद से पहले “अनिरुद्ध कुमार पांडेय” था नाम
प्रेमानंद जी महाराज का जन्म 1969 में कानपुर जिले के सरसौल ब्लॉक के अखारी गांव में एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। घर में धार्मिक वातावरण था, माता रमा देवी और पिता शंभू पांडेय अपने संस्कारों और परंपराओं के लिए जाने जाते थे। प्रेमानंद जी का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय था, उनका जीवन शुरू से ही साधना और अध्यात्म की ओर झुका हुआ रहा। बचपन से ही उनमें ईश्वर और भक्ति की ओर एक अलग ही लगाव दिखाई देता था। 13 साल की छोटी-सी उम्र में ही अनिरुद्ध ने संसार से मोह छोड़कर संन्यास का मार्ग चुन लिया।
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