Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि जो चीज पसंद हो पर भाग्य में ना हो, वो हमें मिल सकती हैं, लेकिन उसके लिए हमें तप करना होगा और भजन करना होगा. मनुष्य को कम से कम महीने में 2 व्रत करने चाहिए. महीने में 2 एकादशी के व्रत पड़ते हैं उसे रखना चाहिए. तप करें, तप से हम जो चाहें वो प्राप्त कर सकते हैं. हम भजन और तप के बल पर सब कुछ हासिल कर सकते हैं. अगर तप नहीं करेंगे तो हमारे प्रारब्ध में जो है वो नहीं मिलेगा. हम नए प्रारब्ध की रचना करें, हम मनुष्य शरीर में आए हैं तो हम पशुओं की तरह प्रारब्ध भोगने नहीं आए. हम अपने भाग्य का निर्माण करने आए है, भाग्य का निर्माण तप और भजन से होगा.
व्रत और नाम जप करते हुए उपवास करें, तो जो चाहें वो कर सकते हैं. ब्रह्मा का पद प्राप्त कर सकते हैं, भगवान को प्राप्त कर सकते हैं, तो और इसके अलावा प्राप्त करने को क्या रह गया. संसार के छोटे पदों का त्याग करें. आज के समय में ज्यादातर मनुष्य की अभिलाषा होती है अच्छा पद, गाड़ी, पैसा, परिवार यह सब अभिलाषा है.
यह सब अभिलाषा आपको भजन के ब्याज में मिल जाएगी. मूल में भगवान मिल जाएंगे, ब्याज में सभी वस्तुएं मिल जाएगी, खूब भजन करें. मांस का त्याग करें, शराब ना पिएं, किसी पर बुरी नजर ना डालें, मां और बहनों का सम्मान करें. लेकिन नाम जप डट कर करें. जब तक तुम्हारे पाप का नाश नाम जप करके ना हो जाएं तब तक फल दिलाई नहीं देगा. दिल में जलन होगी, मन चंचल रहेगा, जिस दिन तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो जाएंगे, उस दिन आप सफल हो जाएंगे. साथ ही उस दिन नंद की धारा बह जाएगी. भगवान बहुत करूणामय हैं.
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा
जो जस करहिं सो तस फल चाखा
प्रभु श्री राम ने इस संसार को कर्म प्रधान बनाया है. यहां सब कुछ कर्म पर ही टिका हुआ है. जैसा कर्म करेगा, वैसा ही फल भोगेगा. अच्छे कर्मों का अच्छा फल और बुरे कर्मों का बुरा फल अवश्य मिलता है.
खुद तप और जप करना होगा. तपस्या में इतना सामर्थ है कि ना चाहते हुए भी भगवान को देना पड़ेगा. पूर्ण सुख भगवान के भजन में ही है.
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