Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज, एक हिंदू तपस्वी और गुरु हैं, जो राधावल्लभ संप्रदाय को मानते हैं. प्रेमानंद जी महाराज अपनी भक्ति, सरल जीवन, और मधुर कथाओं के लिए लोगों में काफी प्रसिद्ध हैं. हर रोज लोग उनके कार्यक्रम में शामिल होते हैं जहां वह लोगों के सवालों के जवाब देते हैं.हजारों लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हैं. उनके प्रवचन, जो दिल को छू जाते हैं, ने उन्हें बच्चों और युवाओं सहित विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया है. प्रेमानंद जी महाराज नाम जप करने के लिए के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं और साफ मन से अपने काम को करें और सच्चा भाव रखें.
भक्त के सवाल पर प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि मन भक्ति में लगता है, फिर भी कुछ समय बाद भटक जाता है,ऐसा क्यों होता है,
अभी लगता मन लगता नहीं है, अगर आपका मन भगवान की भक्ति में लग जाएगा तो भटकता नहीं है, जब तक भटकता है तब तक लगता नहीं है, अभी ऐसा लगता है कि लगता है, लेकिन लगता नहीं है, जब लग जाएगा तो हटाओगे तो भी भगवान से मन हटेगा नहीं.
अभ्यासअभ्यासयोगयुक्तेन चेतसा नान्यगामिना परमं पुरुषं दिव्यं याति पार्थानुचिन्तयन्
जो व्यक्ति अभ्यास और योग से युक्त, एकाग्रचित्त होकर, अन्यत्र न भटकते हुए, निरंतर परम दिव्य पुरुष (परमेश्वर) का चिंतन करता है, वह निश्चित रूप से उसी परम पुरुष को प्राप्त करता है. बार-बार में संसार में जाते हुए मन को भगवान में लगाओं, अभ्यास करो, ऐसे ही नहीं लग जाता है भगवान में, विषयों में सुख, बुद्धि है, संसार में प्रियता है, इसीलिए इस तरफ जाता है.
जब भगवान में लग जाएगा या भक्ति में लग जाएगा फिर नहीं हटेगा. फिर आपका बात करने का भी मन नहीं करेगा. इसीलिए अभ्यास करो, नाम कीर्तिन करों, कथा सुनो, पढ़ों, नाम जप करो, सत्यंग सुनो, इस अभ्यास से जब हम बार-बार आध्यात्मिक बातें सुनेंगे, कहेंगे और इन बातों का चिंतन करेंगे तो हमारा मन लगा जाएगा. जब मन लग गया तो निहाल हो गया, मुक्त हो गया. सारी लड़ाई इसी बात की है कि मन भगवान में लग जाए. परम पुरुष, दिव्य आत्मा बन जाएगा. भगवान में लगा हुआ मन मोक्ष का कारण है.
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