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Premanand Ji Maharaj: परिवार से मोह कब त्याग देना चाहिए?, जानें प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल विचार

Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल वचन लोगों को उनके जीवन के प्रेरित करते हैं. नाम जप, भगवान की सेवा, माता-पिता की सेवा करना ही परम सेवा है. जानते हैं प्रेमानंद जी महाराज से उनके अनमोल विचार.

By: Tavishi Kalra | Last Updated: November 20, 2025 9:24:34 AM IST



Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल वचन लोगों के जीवन में बदलाव लाने में सहायक होते हैं. लोग उनसे जीवन की शिक्षा लेते हैं. जानते हैं क्या कहना है राधा रानी भक्त प्रेमानंद जी महाराज का कि हमें परिवार से मोह कब त्याग देना चाहिए.

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं जब सही ज्ञान हो जाए, तब परिवार का मोह त्याग देना चाहिए. साथ ही उनका यह भी मानना है कि परिवार से मोग का त्याग कर देना कोई खेल नहीं है. बाबा बनने के बाद भी मोह नहीं छूटता, स्मृति रहती है, अगर सावधान ना रहें तो हम मोह वाला काम करने लगते हैं, मोह छोड़ना कोई खेल नहीं है. मोह अगर छूट गया सब बात बन जाएगी.

प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि मोह और अंधकार के कारण ही यह सारा जीवन का खेल हो रहा है. हमें लगता है कि हम प्रेम करें और मोह ना करें. प्रेम होता है भगवान से, हम सभी को अपने माता-पिता में भगवान देखना चाहिए. भाई में भगवान को देखें, सबमें अगर भगवान को देखकर काम करें तो मोह से ज्यादा प्रेम होता है बलवान.

मोह अज्ञान से भरा होता है. प्रेम करेंगे तो प्रेम में तत्सुख भावना होती है. माता-पिता की सेवा कर रहे हैं, अगर हमारे घर को मेहमान आएं और माता-पिता ने हमारी निंदा कर दी, तो हमारी सेवा में रूचि खत्म हो जाएगी. यदि उन्हें भगवान मान के सेवा कर रहे तो  कोई कहेगा कि माता-पिता निंदा कर रहे थे तो आप मुस्कुरा देंगे, तो इसका अर्थ है आप सेवा में लीन हैं.

हमें लगता है हम अपने परिवार को अधिक सुख प्रदान कर सकते हैं. यदि अपने परिवार में भगवत भावना करके प्रेम करें तो मोह का त्याग करके भगवत भावना से प्रेम करने पर हमारा कल्याण हो जाएगा.

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