Pradosh Vrat Date: सनातन धर्म में मार्गशीर्ष यानी अगहन मास का खास महत्व है. यह महीना जगत के पालनहार भगवान श्री कृष्ण को बेहद प्रिय है. इसको लेकर ही भगवान कृष्ण पवित्र ग्रंथ गीता के दसवें अध्याय के 35वें श्लोक में कहते हैं-
बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्।
मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः।।
हे पार्थ! मैं, श्रुतियों में बृहत्साम और वैदिक छन्दों में गायत्री छन्द हूं। बारह महीनों में मार्गशीर्ष और छः ऋतुओंमें वस्तं हूं।
अतः मार्गशीर्ष यानी अगहन महीने में भगवान कृष्ण की विशेष पूजा की जाती है. इस माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव की पूजा की जाती है. साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है. तो आइए जानते हैं, प्रदोष व्रत की सही तिथि और शुभ मुहूर्त जानते हैं.
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
त्रयोदशी तिथि की शुरुआत – 17 नवंबर को सुबह 04 बजकर 47 मिनट पर
त्रयोदशी तिथि की समापन – 18 नवंबर को सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर
प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat 2025 Kab Hai)
हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है. अगहन माह का पहला प्रदोष व्रत सोमवार 17 नवंबर को रखा जाएगा. सोमावर के दिन की वजह से इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा. त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है. अगहन माह के पहले प्रदोष व्रत पर पूजा का शुभ समय संध्याकाल 05 बजकर 29 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 09 मिनट तक है.
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पंचांग
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 48 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 29 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 02 मिनट से 05 बजकर 55 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 38 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 29 मिनट से 05 बजकर 55 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट तक