हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है.साल में चार बार नवरात्रि आती है, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि का महत्व सबसे अधिक माना जाता है. शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से लेकर और 2 अक्टूबर को विजयादशमी के साथ इसका समापन होगा. इस दौरान माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है.इन नौ दिनों में अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है. दुर्गा अष्टमी के दिन भक्त माता दुर्गा की अराधना करते है और कई जगहों पर कन्या पूजन का आयोजन भी होता है. आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि 2025 में दुर्गा अष्टमी की तिथि, पूजा विधि और इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं.
दुर्गा अष्टमी 2025 कब है?
शारदीय नवरात्रि 2025 में दुर्गा अष्टमी 29 सिंतबर,सोमवार को मनाई जाएगी.इसे महाअष्टमी भी कहा जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह तिथि विशेष फलदायी मानी जाती है और इस दिन माता दुर्गा की अराधना करने से सभी कष्ट दूर होते हैं.
दुर्गा अष्टमी की पूजा विधि
दुर्गा दुर्गा अष्टमी के दिन भक्त विशेष पूजा करते हैं. परंपरागत रूप से पूजा विधि इस प्रकार करते है. जिसमें सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करते है और उसके बाद माता दुर्गा की पूजा का संकल्प लेंते है. फिर घर में पहले से स्थापित कलश की पूजा करी जाती है और माता की मूर्ति अथवा तस्वीर को सजाएँ जाता है. पूजा करते समय कुछ सामग्री का आयोजन किया जाता है जैसे की लाल कपड़ा, अक्षत, रोली, पुष्प, दीपक, धूपबत्ती, नारियल, और चुनरी उसके बाद दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा या विशेष मंत्रों का जाप करते है. माता को हलवा-पूरी, चने और नारियल का भोग अर्पित करते है उसके बाद कन्या पूजा की जाती है.इस दिन पर 2 से 9 वर्ष की कन्याओं को घर बुलाकर उनका पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है. उनके चरण धोकर उन्हें भोजन और उपहार देकर विदा किया जाता है और अंत में माता की अरती करकें हवन करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
दुर्गा अष्टमी पर क्या करें?
दुर्गा अष्टमी पर अपको माता दुर्गा को लाल और पीले फूल अर्पित करना चाहिए और उसके बाद कन्या पूजन जरूर करें, यह सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला माना गया है. साथ ही हम आपको ये भी बता दे की इस दिन दिन दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करने से और साथ ही जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करने से उपवास करने से मन और आत्मा शुद्ध होती है.
दुर्गा अष्टमी पर क्या न करें?
दुर्गा अष्टमी के दिन हमें मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए साथ ही पूजा के समय मोबाइल या टीवी जैसी चीजों पर ध्यान नहीं देना चाहिए उससे आपका ध्यान भंग हो सकता है और साथ ही घर में कलह या विवाद से बचें, क्योंकि नवरात्रि
के दौरान नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है. इस समय पर झूठ बोलने और किसी को आहत करने से बचना चाहिए और कन्याओं या स्त्रियों का अपमान करने से देवी प्रसन्न नहीं होतीं.
दुर्गा अष्टमी का महत्व
दुर्गा अष्टमी का दिन केवल पूजा-पाठ तक सिमित नहीं होता है, बल्कि यह नारी शक्ति के सम्मान और उनके आदर का प्रतीक माना जाता है. इस दिन दिन कन्याओं का पूजन करना यह संदेश देता है कि समाज में स्त्रियों का स्थान काफी ऊपर है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता काली और महागौरी की आराधना करने से पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.