नवरात्रि एक ऐसा पर्व है भारत का जिसमें सिर्फ हम धार्मिक आस्थ का प्रतीक ही नहीं, बल्कि खानपान की पंरपराओ से भी जुड़ा हुआ है. यह नौ दिनों तक भक्त व्रत रखते है, तब सबसे ज्यादा चर्चा जिस सामग्री की होती है, वह है कुट्टू का आटा आपने भी ध्यान दिया होगा की उपवास में रोटी, पूरी, पकोड़े या हलवा ज्यादातर कुट्टू के आटे से ही बनाए जाते है. लेकिन क्या कभी सोचा है कि व्रत के दौरान कुट्टू का आटा ही क्यों खाया जाता है? तो चलिए जानते है आखिर कुट्टू का आटा क्यो है इतना खास
कुट्टू का आटा क्या है ?
कुट्टू वास्तव में गेहू की तरह कोई अनाज नही है, बल्कि एक बीज है. इसे Buckwheat कहा जाता है और यह पूरी तरह से ग्लूटेन – फ्री होता है. इसलिए उपवास में इसे “ सात्विक भोजन” माना जाता है. कट्टू का स्वाद हल्का मिट्टी जैसा होता है और इसमे मिलने वाले पोषक तत्व इसे खास बनाते हैं.
व्रत में कुट्टू का महत्व
नवरात्रि व्रत करने का सबसे बड़ा कारण यह होता है की उसकी वजह से हमारी बोडी डिटॉक्स और मन को सान्त करता है. ऐसे में साधारण अनाज जैसे चावल, गेहू का सेवन वर्जित होता है. कुट्टू का आटा हल्का, पचने में आसान और ऊर्जा देने वाला होता है, जो व्रत के दौरान शरीर को थकान से बचाता है.
आखिर कैसे बनता है कुट्टू का आटा?
कुट्टू के पौधे से निकलने वाले बीजों को सुखाकर इसका छिलका उतार दिया जाता है. इसके बाद इन बीजों को पीसकर आटा तैयार किया जाता है. आटे का रंग हल्का भूरा और ग्रे शेड का होता है. इसे ताजा पीसा जाए तो स्वाद और भी बढ़ जाता हैय
कुट्टू के आटे से बनने वाला भोजन
व्रत में लोग कुट्टू के आटे से कई तरह की डिशेज बनाते है जैसे की आलू की सब्जी के साथ खाने के लिए कुट्टू की पूरी, झटपट बनने वाला नाश्ता कुट्टू का चीला , कुट्टू का पकोड़े.
साइंटिफिक बाते
कुट्टू को सुपरफूड भी कहा जाता है क्योकि इसमें आयरन, मैग्नीशियम,जिंक और एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है. यह न सिर्फ ऊर्जा देता है बल्कि शरीर को डिटॉक्स भी करता है. यही कारण है कि व्रत में इसे खाया जाता है ताकि शरीर हल्का रहे और मन पूजा – अर्चना में लगा रहे.