देवी भागवत पुराण में देवी मां के नौ रूप और दस महाविद्याओं को आदिशक्ति बताया गया है किंतु भगवान शंकर की अर्धांगिनी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान रहती हैं. महागौरी के रूप में देवी मां का यह आठवां स्वरूप है जिन्हें सौंदर्य की देवी भी कहा जाता है. नवरात्रि के अवसर पर आठवें दिन मां के इसी स्वरूप की पूजा की जाती है जो करुणामयी, स्नेहमयी, शांत और कोमल दिखती हैं. मान्यता है कि इनकी शक्ति अचूक है और मां अपने भक्तों को सदैव फल प्रदान करती हैं. महादेव की अर्धांगिनी के रूप महागौरी की पूजा करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और वह ऐसे पुण्य का अधिकारी हो जाता है जो कभी नष्ट नहीं होता है.
भगवान शंकर ने दिया मां को ऐसा स्वरूप
पौराणिक कथाओं के अनुसार पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने महर्षि नारद के कहने पर भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की. घनघोर जंगल में उन्हें तप करते हुए हजारों बरस गुजर गए. शुरू में जंगली फल, बिल्व पत्र और बाद में मां ने हजारों वर्ष बिना जल पिए तप किया. इस कारण उनका शरीर काला पड़ गया. जब मां की कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए तो उन्होंने मां को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वचन देते हुए पवित्र गंगा नदी में स्नान करने को कहा. स्नान करते ही मां का शरीर गोरा होने के साथ ही कांतिमय और ओजपूर्ण बन गया. गोरा रंग होने के कारण मां पार्वती को महागौरी के नाम से जाना जाने लगा.
इन दो नामों से भी मां को पुकारा जाता
महागौरी का जैसा गौर वर्ण है उसी के अनुरूप उनके वस्त्र और आभूषण आदि सभी सफेद हैं. उनका प्रिय रंग भी सफेद है. यही कारण है कि पूजन में मां को सफेद चीजें और भोग अर्पित किए जाते हैं. सफेद रंग प्रिय होने और श्वेत वस्त्र धारण करने के कारण इन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है, शिव जी के कारण इनका एक नाम शिवा भी है. इस स्वरूप में मां का वाहन वृषभ है और इनकी चार भुजाएं हैं. दाहिने हाथ में ऊपर वाला अभय मुद्रा में तो नीचे वाले में त्रिशूल विराजमान है. बाईं तरफ ऊपर के हाथ में मां ने डमरू धारण कर रखा है तो नीचे वाला हाथ वरद मुद्रा में है. शांत स्वरूपा मां गौरी अपने भक्तों को समस्याओं से मुक्ति दिलाने के साथ ही कल्याण करती हैं.
सुख-शांति व धन-वैभव की अधिष्ठात्री
मां महागौरी सुख-शांति व धन-वैभव की अधिष्ठात्री हैं. अष्टमी के दिन इनकी आराधना के साथ ही कन्या पूजन का भी विधान है. महागौरी का अर्थ है गोरे रंग का वह रूप जो सौन्दर्य से भरपूर और प्रकाशमान है. उनका ध्यान करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.