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Sawan Mangala Gauri Vrat 2025: प्रेम में मिलेगी सफलता! सावन का पहला मंगला गौरी व्रत आज, ये सारी परेशानी दूर करेंगी माता पार्वती

Sawan Mangala Gauri Vrat 2025: 15 जुलाई को सावन माह का पहला मंगला गौरी व्रत है। यह व्रत माता पार्वती को समर्पित है। उन्होंने शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।

By: Preeti Rajput | Published: July 15, 2025 9:10:57 AM IST



Sawan Mangala Gauri Vrat 2025: सावन मास में पड़ने वाले मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। यह व्रत वविवाहित स्त्रियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।यह व्रत देवी पार्वती को समर्पित है, जिन्होंने भगवान शिव को पति रूप में माने के लिए कठोर तपस्या की थी। यह व्रत करने वाली स्त्रियों को माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत से सुखमय दांपत्य जीवन और संतान सुख की प्राप्ति होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, श्रद्धा और नियम से व्रत करने वाली स्त्रियों का जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है।
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क्यों किया जाता है ये व्रत 

पौराणिक मान्यता के अनुसार, अधिष्ठात्री देवी पार्वती को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत किया जाता है। यह व्रत स्त्रियों के वैवाहिक जीवन में स्थिरता लेकर आता है। इसके अलावा घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि भी प्रदान करता है।  कन्याओं की शादी में बाधा और वैवाहिक जीवन में अशांति दूर करने के लिए भी यह व्रत किया जाता है। इससे पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है 

व्रत की पूजा विधि 

मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह-सुबह स्नान करके साफ वस्त्र पहन लें। फिर घर के पूजा वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर लें। एक लकड़ी की चौकी पर लाल या पीले कपड़े को बिछाकर उस पर मां गौरी की मूर्ती रख दें। सोलह श्रृंगार की वस्तुएं जैसे चूड़ियां, बिंदी, कंघी, सिंदूर आदि के साथ कुमकुम, अक्षत, पुष्प, नारियल, मिठाई अर्पित करें। पूजा के पश्चात मंगला गौरी व्रत की कथा का पाठ भी करना चाहिए। नई दुल्हने इस दिन पूजा सास को वस्त्र, मिठाई और श्रृंगार देकर उनका आशिर्वाद प्राप्त करती हैं। 

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व्रत के नियम 

मंगला गौरी व्रत के कई नियम भी होने हैं। पूरे दिन संयम और पवित्रता के साथ उपवास रखना चाहिए। पूजा के बाद फल का सेवन किया जा सकता है। लेकिन अन्न का सेवन पूरी तरह से वर्जित है। व्रत के दिन कटु वचन, क्रोध और तामसिक प्रवृत्तियों  जितना हो सके दूर रहना चाहिए। अंतिम वर्ष में व्रत का उद्यापन करना आवश्यक होता है। यह व्रत करने से जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
   

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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