Maa Kaali: देवी भागवत और कालिका पुराण जैसे ग्रंथों में मां काल की शक्ति और रौद्र स्वरूप का वर्णन देखने को मिल जाता है. इन ग्रंथो में मां काल के रूप की उपासना और उनकी शक्ति का वर्णन है. हालांकि शास्त्रों में मां काली की प्रतिमा को घर पर रखने या न रखने से संबंधित कोई विवरण नहीं दिया गया है.
मां काली की प्रतिमा घर पर रखनी चाहिए या नहीं?
तांत्रिक और शक्ति परंपराएं क्या कहती हैं?
तंत्र और शक्ति पूजा के ग्रंथों में कहा गया है कि मां काली के उग्र स्वरूपों की पूजा विशेष विधि और प्रशिक्षित पंडित से ही करवाई जाती है. इन ग्रंथों में ऐसे स्वरूपों को घर में साधारण रूप से रखने के निर्देश नहीं दिए गए हैं. अगर फिर भी आप घर पर मां काली की प्रतिमा रखना चाहते हैं तो पूरे विधि विधान, मुहूर्त और पूजा पद्धति का ध्यान रखना चाहिए.
क्या कहता है वास्तु शास्त्र?
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर में देवी-देवताओं की मूर्ति रखना शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. कुछ विशेषज्ञों के अनुसार उग्र और भयावह स्वरूप वाली प्रतिमाएं घर पर नहीं रखनी चाहिए. जैसे मां काली का रौद्र स्वरूप, यदि बिना सही दिशा और विधि के घर में रखी जाएं तो ये घर की ऊर्जा को असंतुलित कर सकती है. हमेशा वास्तु के मुताबिक काली मां की प्रतिमा को उत्तर-पूर्व दिशा में ही रखना चाहिए. मूर्ति जमीन से ऊपर की ओर होनी चाहिए. छोटे आकार की प्रतिमा को ही रखना चाहिए.
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धार्मिक मान्यताएं क्या कहती हैं?
धार्मिक परंपराओँ में ये विश्वास दिलाया गया है कि मां काली की प्रतिमा का सम्मान और नियमित पूजा न हो, तो ये घर पर नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न कर सकती है. वहीं भक्तों के अनुभव बताते हैं कि अगर देख-रेख के साथ मां की प्रतिमा को रखा जाए तो ये आपके लिए शुभ भी हो सकती है. धार्मिक लेखों में भी इस बात का विवरण है कि देवी की मूर्तियां हमेशा साफ, सुरक्षित और सम्मानित स्थान पर ही रखी जानी चाहिए. टूटी या क्षतिग्रस्त प्रतिमाओं को रखना अशुभ माना जाता है.