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मुस्लिमों में शवों को दफनाया और हिंदुओं में जलाया क्यों जाता है? यहां जानें- इसके पीछे की वजह

Funeral Traditions in Islam: बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया को आज यानी बुधवार (31 दिसंबर, 2025) को सुपुर्द-ए-खाक किया गया. ऐसे में आइए जानते हैं कि मुस्लिमों में शवों को दफनाया और हिंदुओं में जलाया क्यों जाता है?

By: Sohail Rahman | Published: December 31, 2025 7:30:13 PM IST



Khaleda Zia Funeral: बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया को बुधवार (31 दिसंबर, 2025) को प्रशंसकों एवं समर्थकों के भारी भीड़ के बीच राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया. दशकों तक बांग्लादेश की राजनीति पर प्रभाव रखने वाली खालिदा जिया का 80 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद मंगलवार (30 दिसंबर, 2025) को ढाका में निधन हो गया था. मानिक मियां एवेन्यू में कड़ी सुरक्षा के बीच पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के जनाजे की नमाज अदा की गई.

ऐसे में आपने कभी सोचा है कि आखिर मुस्लिमों में शवों को दफनाया और हिंदुओं में शवों का दाह संस्कार क्यों किया जाता है. अगर आपको नहीं पता तो चलिए आपको विस्तार से इस बारे में बताते हैं.

मुस्लिमों में शवों को क्यों दफनाया जाता है? (Why are bodies buried in Islam?)

इस्लाम में दाह संस्कार के बजाय मृतक को दफनाया जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस्लाम में दाह संस्कार को हराम माना जाता है. इसे एक अपवित्र प्रथा माना जाता है जो मृतक का अपमान करती है. इस्लामी कानून (शरिया) के अनुसार, मौत के बाद शरीर को जल्द से जल्द दफना देना चाहिए. इसलिए अंतिम संस्कार की तैयारी तुरंत शुरू कर देनी चाहिए. इस्लाम धर्म के मुताबिक इंसान का शरीर अल्लाह की बनाई हुई सबसे अनमोल अमानत है. इसे जलाना या अपमानित करने का मतलब अल्लाह की अमानत का अपमान करना है. इसलिए शव को सम्मान के साथ दफनाया जाता है.

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दफनाना सुन्नत का काम (Burial is a Sunnah (recommended) act)

पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ने अपने अनुयायियों को सीख दी थी कि मरने के बाद शव को दफनाना चाहिए. इस बात का जिक्र कुरान और हदीस में भी देखने को मिलता है. यह वजह कि जब कोई मुसलमान मरता है तो उसे दफनाया जाता है. इसके अलावा, इस्लाम में आग का संबंध जहन्नुम (नरक) की सजा से है. शव को जलाने का मतलब मृत आत्मा को अनावश्यक कष्ट देना समझा जाता है. इस वजह से भी इस्लाम में शव जलाने की परंपरा नहीं रही है.

इस्लाम में ये भी मान्याताएं हैं कि कयामत के दिन अल्लाह हर इंसान को जीवित करेगा. इसलिए शरीर को मिट्टी में दफनाना इस विश्वास का प्रतीक है कि इंसान उसी मिट्टी से एक बार फिर जन्म लेगा.

हिंदुओं में शवों को जलाया क्यों जाता है? (Why are bodies cremated in Hinduism?)

अब आते हैं कि हिंदू धर्म में आखिर शवों को क्यों जलाया जाता है तो इसके पीछे कई कारण हैं. आध्यात्मिक नजरिए से देखें तो किसी व्यक्ति की पहचान उसका शरीर नहीं बल्कि उसकी आत्मा होती है और जब आत्मा शरीर छोड़ देती है तो शरीर का कोई महत्व नहीं रह जाता. शास्त्रों में कहा गया है कि शरीर पांच तत्वों से बना है और जब इसमें से जीवन शक्ति खत्म हो जाती है तो इसे उन्हीं तत्वों में वापस मिल जाना चाहिए. हालांकि शरीर बिना जलाए भी आखिरकार सड़ जाएगा और धरती में मिल जाएगा, लेकिन यह न सिर्फ शरीर के लिए एक अपमानजनक प्रक्रिया होगी, बल्कि आत्मा को भी दुख पहुंचाएगी, जो काफी समय तक अपने भौतिक रूप से चिपकी रह सकती है.

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