Garunda Puran: हिंदू धर्म में जब कोई इंसान मर जाता है, तो उसकी आत्मा शरीर से बाहर निकल जाती है और इंसानी शरीर यही रह जाता है. जिसे हमारे परिवार के लोग बाद में श्मशान घाट में ले जाकर जला देते हैं. वह शरीर जिसे इंसान हमेशा से संभाल कर रखता है मरने के बाद आत्मा को यमदूत 24 घंटों के लिए ले जाते हैं. फिर परिवार के पास धरती लोक पर भेज देते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये आत्मा 13 दिन के लिए अपने घर के आसपास रहती है.
गरुड़ पुराण के अनुसार, इंसान की मृत्यु के बाद यमदूत आत्मा को लेने आते हैं. गरुण पुराण के अनुसार, अगर उस इंसान ने जीवन में अच्छे कर्म किए हैं, तो यमदूत आत्मा को आराम से ले जाते हैं. पर अगर उस इंसान ने जीवन में बुरे काम किए हैं, तो आत्मा को डरा देते हैं.
आत्मा की कठिन यात्रा
पिंडदान के बाद आत्मा को फिर यमलोक ले जाया जाता है. जहां पहुंचने में उसे 17 से 49 दिन लग जाते हैं. इस दौरान उसे 16 बड़ी नदियां पार करनी पड़ती है. गरुण पुराण के अनुसार, यह रास्ता बड़ा कठिन होता. जो लोग पापी होते हैं उनके लिए ये बहुत कठिन होता है. जिनके घर में पूजा-पाठ होती है. उनकी आत्मा को कम कष्ट होता है.
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यमराज के दरबार में होता है फैसला
आत्माएं वैतरणी नदी और कठिन रास्ते को पार करने के बाद आखिर में यमराज के दरबार पहुंचती हैं. वहां उनका चित्रगुप्त नाम के देवता जो यमराज के सहायक और लेखपाल हैं. वो उनके सारे बुरे और अच्छे कर्म का हिसाब लेकर बैठे होते हैं. फिर यमराज बताते हैं कि किसे स्वर्ग मिलेगा और किसे नरक
स्वर्ग या नरक
अगर आत्मा ने अपने जीवन में अच्छे कर्म किए हैं. कभी किसी का दिल नहीं दुखाया है तो उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है. पर अगर किसी ने बुरे कर्म किए हैं और हमेशा उल्टे सीधे काम किए हैं तो उन्हें नरक मिलता है.