Garuda Purana: गरुड़ पुराण एक महत्पूर्ण ग्रंथ है जो हिन्दू धर्म के अनुयायियों को मृत्यू, परलोक और मोक्ष के बारे में ज्ञान प्रदान करता है। इस ग्रंथ में वर्णित अवधारणाएं और उपदेश जीवन के उद्देशय और अर्थ को समझने में मदद करते हैं। गरुड़ पुराण में दुनिया के सबसे बड़े सात पापो की व्याख्या की गई है। हर पाप की सजा नरक से बत्तर होती है। ये सारे पाप आध्यात्मिक, धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत गंभीर माने जाते है।
पहला और सबसे संगीन पाप- ब्राह्मण हत्या
- इस पाप को धर्म, ज्ञान और मर्यादा की हत्या के रूप में देखा जाता है।
- किसी भी ब्राह्मण की हत्या करना काफी संगीन पाप माना जाता है।
- जीव की जान लेना, उससे कष्ट पहुंचना हानि पहुंचना दर्द देना महापाप माना जाता है।
- इस पाप की सजा महारौरव नर्क में मिलती है जहां आत्मा को ज्वालामुखी रूप में जलाते है और पाप की सजा दी जाती है।
दूसरा पाप : सुरापान
- शराब पीना या नशा करने को धार्मिक मर्यादाओं का उल्लंघन करना मानते है।
- मदिरा सेवन करना, नशे में हानि करना यह किसी को गलत बोलना, अपनी वाणी से चोट पहुंचना एक महापाप माना जाता है।
- नशे में मनुष्य को किसी भी बात का ध्यान नहीं रहता, उसे ज्ञात नहीं होता वो कर्म क्या कर रहा है।
- इस पाप के लिए सजा बहुत कठिन होती है जैसे की, पापी को तपते लोहे के पात्र से ज्वलित विष पिलाया जाता है।
- यह नर्क शारीरिक और मानशिक अग्नि से भरा होता है। इस नर्क को अयःपान नर्क कहते है।
तीसरा पाप : चोरी
- किसी भी अन्य व्यक्ति की धन यह संपत्ति चुराना, चोरी हर तरह से धर्म, सामाजिक विश्वास के विरुद्ध है।
- चोरी करना किसी की मेहनत को लूटना, किसी की सम्पति चुराना, किसी की जीवन की कमाई खाना या हड़पना यह भी एक महापाप है।
- आर्थिक नुकसान व्यक्ति का जीवन बर्बाद कर सकती है। उसे लाचार और कमजोर बना सकती है।
- इस पाप की सजा भी बहुत गंभीर है जिससे आत्मा को काफी कष्ट दिया जाता है। जो भी पापी यह पाप करता है उसे अंधकार और भयंकर स्थल में बंधी बनाकर मारा जाता है। या फिर भूख, प्यास और प्रहार से कष्ट दिया जाता है। इस नर्क को तमिस्रा नर्क कहते है।
चौथा पाप : गुरुपत्नी-गमन
- अपने गुरु या गुरु सामान व्यक्ति की पत्नी के साथ गलत सम्बन्ध बनाना, यह एक बहुत घिनोना पाप माना जाता है।
- जो गुरु शिक्षा प्रदान कर आपको लायक बनाता है, उसके साथ विश्वासघात करना संगीन पाप में से एक है जिसे काफी शर्मनाक क्रिया कहा जाता है।
- इस पाप की सजा भी कठोर है जिसमें पापी को जंगली जन्तुओ के साथ छोडा जाता है जो उसे नोच-नोच कर खाते है यह पाप को धार्मिक अनुष्ठानों का अपमान माना जाता है।
- इस पाप की सजा महावीचि नर्क में दी जाती है।
पांचवा पाप : अग्नि हत्या
- यज्ञ की अग्नि को भुझाने या अग्नि का अपमान करना यह वेद विधि और धार्मिक क्रियाओं का अपमान है।
- जलती हुई अग्नि को बुझाना एक महापाप समझा जाता है जिसमें की अग्नि का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाता।
- मरने के बाद पापी को जलते हुए और तपते हुए कुम्भ में जलाया जाता है। इस पाप के सजा के लिए पापी को तप्ता कुम्भ नर्क में भेजा जाता है। जहां पापी को अग्नि अपमान की कीमत समझ आती है और भयावह सजा दी जाती है।
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छठा पाप : गर्भ हत्या
- गर्भ में पल रहे शिशु की हत्या महापाप कहलाती है। जहां निर्दोष की जान मनुष्य ले लेता है अपने स्वार्थ के लिएय़
- मासूम की जान लेना और कष्ट देना इस पाप की कोई सिमा नहीं है |
- अंततः पापी पर बिना रेहम के सजा होनी जरुरी है, इसकी सजा में पापी को गंदे, अंधेरे और सड़ियल कूप( कुएं) में गिरा दिया जाता है।
- अकेलेपन, अंधकार और असुर रुपी पिशाच उस पर अकर्मण करते है। इ
- स नर्क को अंधकूपा नर्क कहते है। जहां पापी को अंधकार और असुर के आतंक से मार दिया जाता है।
सातवा पाप : परदार गमन
- पराई स्त्री या पुरुष के साथ संबंध बनाना सातवा महापाप है जिसमें पापी अपने पति यह पत्नी के साथ धोखा करता है और गैर मर्द या औरत के साथ संबंध बनाते है।
- इस पाप की सजा बहुत कठोर और भयावह है। जिसमें पापी को भयंकर रुपी पिशाच जलाते है, इस नर्क में भयंकर दर्द और श्राप के बीच आत्मा को रखा जाता है। इस नर्क को रौरव नर्क से जाना जाता है।
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