भारतीय समाज में स्त्रियों को हमेशा त्याग, ममता और शक्ति का प्रतीक माना गया है। लेकिन अक्सर यह कहा जाता है कि उनका भाग्य उनके पैरों में छुपा होता है। यह विचार सिर्फ कहावत भर नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी सोच और जीवन का अनुभव छुपा हुआ है।
दरअसल, स्त्री का जीवन संघर्षों और जिम्मेदारियों से भरा होता है। जब वह अपने पैरों पर खड़ी होती है, तभी असली मायनों में उसका भाग्य बदलता है। पैरों का संबंध यहां मेहनत और आत्मनिर्भरता से है। जो महिला अपने दम पर आगे बढ़ने का संकल्प लेती है, वह अपने भविष्य की दिशा खुद तय कर सकती है। यही कारण है कि कहा जाता है कि उसका भाग्य उसके पैरों में छुपा है।
लक्ष्मी का आगमन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भी स्त्री के चरणों को विशेष महत्व दिया गया है। विवाह के समय दुल्हन के घर प्रवेश को लक्ष्मी का आगमन कहा जाता है। माना जाता है कि जिस घर में स्त्री के कदम पड़ते हैं, वहां समृद्धि और सौभाग्य आता है। इसी विश्वास से जुड़ा है यह कथन कि स्त्रियों के पैरों में भाग्य छुपा होता है।
कदमों से तय होता है भाग्य?
आज के समय में यह विचार और भी प्रासंगिक है। पढ़ाई-लिखाई से लेकर नौकरी और व्यवसाय तक, जब महिलाएं अपने प्रयासों से आगे बढ़ रही हैं, तो यह साफ दिखता है कि उनका भविष्य वास्तव में उनके ही कदमों से तय होता है। यह संदेश हर महिला को यह प्रेरणा देता है कि किसी भी भाग्य को बदलने की ताकत उसी के अंदर है। उसके आत्मविश्वास, साहस और कर्म ही उसकी असली पूंजी हैं। सच ही कहा गया है, स्त्री का भाग्य उसके पैरों से ही लिखा जाता है।
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