Diwali Ka Mehtav: दिवाली, रोशनी और खुशियों का त्योहार, भारत के सबसे बड़े और पवित्र पर्वों में से एक है. यह दिन मां लक्ष्मी, धन और समृद्धि की देवी, की पूजा के लिए समर्पित होता है. माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी घर-घर में आती हैं और जिन घरों में स्वच्छता, श्रद्धा और सकारात्मक ऊर्जा होती है, वहां स्थायी रूप से निवास करती हैं. लेकिन कई बार लोग सजावट और खरीदारी की भागदौड़ में एक बेहद महत्वपूर्ण चीज़ लाना भूल जाते हैं — श्री यंत्र.
क्यों जरूरी है श्री यंत्र
शास्त्रों के अनुसार, श्री यंत्र मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. यह देवी की शक्तियों का ज्यामितीय रूप है और इसे घर में स्थापित करने से धन, सुख और समृद्धि का वास होता है. कहा जाता है कि बिना श्री यंत्र के लक्ष्मी पूजा अधूरी मानी जाती है. अगर आपने घर की साफ-सफाई कर ली, दीपक जला लिए, मिठाइयाँ बाँट लीं, लेकिन श्री यंत्र की स्थापना भूल गए — तो मां लक्ष्मी प्रसन्न नहीं होतीं.
स्थापना का शुभ तरीका
दिवाली की रात लक्ष्मी पूजा से पहले श्री यंत्र को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है. इसके बाद इसे लाल कपड़े पर रखकर, चंदन, हल्दी, और फूलों से सजाया जाता है. पूजा के दौरान इसे ‘श्री सूक्त’ या ‘लक्ष्मी मंत्र’ के साथ स्थापित करना चाहिए. श्री यंत्र को तिजोरी, पूजा घर या घर के उत्तर-पूर्व दिशा में रखने से अत्यधिक शुभ फल प्राप्त होते हैं.
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इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण
श्री यंत्र केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है. इसकी संरचना ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करती है और वातावरण में समृद्धि की तरंगें उत्पन्न करती है. यही कारण है कि वास्तु विशेषज्ञ भी घर या दफ्तर में श्री यंत्र रखने की सलाह देते हैं.
इस दिवाली, अगर आप मां लक्ष्मी की कृपा चाहते हैं, तो दीप, मिठाइयों और नए कपड़ों के साथ श्री यंत्र लाना न भूलें. यह न केवल आपकी पूजा को पूर्ण करेगा, बल्कि आपके जीवन में सुख, शांति और धन की स्थायी वृद्धि का मार्ग भी खोलेगा. याद रखें — लक्ष्मी जी वहीं निवास करती हैं, जहां श्रृद्धा, स्वच्छता और श्री यंत्र का शुभ संयोग होता है.