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धनतेरस के दिन घर के कौन से कोने में जलाएं दीपक, जानें इसका धार्मिक महत्व

Dhanteras 2025: धनतेरस के त्योहार का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. इस दिन मां लक्ष्मी, कुबेर महाराज और यमराज की पूजा की जाती है. इस दिन दीपदान का भी खास महत्व है. पर क्या आपको भी समझ नहीं आ रहा है कि धनतेरस पर घर के किस कोने में कितने दीपक जलाने है. तो इस आर्टिकल में आपको इससे जुड़ी सारी जानकारी मिलेगी.

By: Shivi Bajpai | Published: October 18, 2025 9:11:01 AM IST



धनतेरस का दिन दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान धनवंतरि और भगवान कुबेर की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. दीपदान को इस दिन अत्यंत शुभ माना गया है, क्योंकि यह अंधकार पर प्रकाश, दरिद्रता पर समृद्धि और नकारात्मकता पर सकारात्मकता की जीत का प्रतीक है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि धनतेरस के दिन घर के किस कोने में कितने दीपक जलाना चाहिए और उनका क्या महत्व है. आइए जानते हैं इस विषय में विस्तार से.

1. मुख्य द्वार पर दीपक जलाना

धनतेरस की संध्या पर घर के मुख्य द्वार पर दो दीपक अवश्य जलाएं. एक दीपक अंदर की ओर और दूसरा बाहर की ओर रखें. अंदर का दीपक घर में सुख-समृद्धि को आमंत्रित करता है, जबकि बाहर का दीपक नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है. दरवाजे पर दीपक जलाने से मां लक्ष्मी का प्रवेश होता है और घर में शुभता का वास होता है.

2. तुलसी के पास दीपक

धनतेरस की रात तुलसी के पौधे के पास एक दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है. तुलसी को लक्ष्मी का रूप कहा गया है, और दीपक जलाने से घर में सुख-शांति और वैवाहिक जीवन में मधुरता बनी रहती है. ध्यान रखें कि यह दीपक पूरी रात जलता रहे.

3. रसोईघर में दीपक

रसोईघर को लक्ष्मी का स्थान माना जाता है. इस दिन एक दीपक रसोईघर में चूल्हे या गैस के पास जलाएं. इससे अन्न और धन की वृद्धि होती है और घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती.

4. पूजा घर में दीपक

पूजा स्थान में कम से कम पांच दीपक जलाना शुभ होता है—एक भगवान गणेश के सामने, एक मां लक्ष्मी के, एक कुबेर देवता के, एक धनवंतरि जी के और एक समष्टि दीपक के रूप में. यदि संभव हो तो तिल के तेल या घी का दीपक जलाएं, क्योंकि यह सात्विकता और पवित्रता का प्रतीक है.

5. दक्षिण दिशा में दीपक जलाना

धनतेरस पर दक्षिण दिशा में एक विशेष दीपक जलाया जाता है जिसे “यम दीपक” कहा जाता है. इसे संध्या के समय घर के बाहर दक्षिण दिशा में जलाया जाता है ताकि यम देव प्रसन्न हों और परिवार को अकाल मृत्यु का भय न रहे.

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